रो मत अरे नादां नहीं ये आब चाहिए
दुनिया बदलने को दिलों में आग चाहिए
दहशत मिटे वहशत मिटे इस मुल्क से मेरे
बिस्मिल,भगत,अशफाक औ आज़ाद चाहिए
लड़ने बुराई से मिटाने गर्दिश-ए-वतन
चट्टान सा तन औ जिगर फौलाद चाहिए
उजड़ा चमन है मुल्क ये बंजर जमीं हुई
सींचो लहू गर ये चमन आबाद चाहिए
क्या शांति से होगा भला लाठी मिले अगर
अब दीप मुल्के इश्क में उन्माद चाहिए
संदीप पटेल "दीप"
Comment
दहशत मिटे वहशत मिटे इस मुल्क से मेरे ,बिस्मिल,भगत,अशफाक औ आज़ाद चाहिए.....वाह संदीप भाई क्या शेर है। मज़ा आ गया। वैसे तो पूरी ग़ज़ल ही बहुत खूबसूरत है लेकिन इस शेर का जवाब नहीं !! दाद कुबूल करें!!
आदरणीय संदीप जी, सादर
बिलकुल सही फरमाया है आपने. बधाई.
उजड़ा चमन है मुल्क ये बंजर जमीं हुई
सींचो लहू गर ये चमन आबाद चाहिए
क्या शांति से होगा भला लाठी मिले अगर
अब दीप मुल्के इश्क में उन्माद चाहिए
जोश जगाती बेहतरीन ग़ज़ल !
उजड़ा चमन है मुल्क ये बंजर जमीं हुई
सींचो लहू गर ये चमन आबाद चाहिए
बहुत बढ़िया सर जी !
bahut sundar aujpoorn ghazal....vaah
aap sabhi aadarneey jano @AVINASH S BAGDE sir ji , @अरुण कान्त शुक्ला sir ji , @yogesh shivhare ji , kaa hriday se shukriya aur saadar aabhar
लड़ने बुराई से मिटाने गर्दिश-ए-वतन
चट्टान सा तन औ जिगर फौलाद चाहिए
बहुत सुन्दर रचना वीर रस में सनी हुई .बधाई
दुनिया बदलने को दिलों में आग चाहिए... बधाई .
दहशत मिटे वहशत मिटे इस मुल्क से मेरे
बिस्मिल,भगत,अशफाक औ आज़ाद चाहिए ...aaha ha..kya tewar hai kavita ke wah! Sandeep bhai wah!
लड़ने बुराई से मिटाने गर्दिश-ए-वतन
चट्टान सा तन औ जिगर फौलाद चाहिए
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