For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं वो हिंद औ वो वतन ढूंढता हूँ

मैं बंजर जमीं पे चमन ढूंढता हूँ 
यूँ दिल को जलाते जलन ढूंढता हूँ

हैं हर-सू धमाके डराते दिलों को
है आतंक फिर भी अमन ढूंढता हूँ

था इतिहास में जो परिंदा सुनहरा  
मैं वो हिंद औ वो वतन ढूंढता हूँ

जो लिपटे तिरंगा बदन से सुकूँ लूं
वो दो गज जमीं वो कफ़न ढूंढता हूँ

जो पैसा कमाना अभी सीखते हैं
मैं उनमे कलामो रमन ढूंढता हूँ

है अब की सियासत बुरी "दीप" लेकिन 
वो उम्दा पुराना चलन ढूंढता हूँ

संदीप पटेल "दीप"

Views: 419

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 13, 2012 at 11:08pm

था इतिहास में जो परिंदा सुनहरा  
मैं वो हिंद औ वो वतन ढूंढता हूँ

जो लिपटे तिरंगा बदन से सुकूँ लूं
वो दो गज जमीं वो कफ़न ढूंढता हूँ

बहुत ही सुन्दर खास के ये दो लाईन  झकझोर कर रख दी संदीप जी बहुत सुन्दर है आपकी ये रचना

Comment by आशीष यादव on July 13, 2012 at 12:27am

वाह संदीप सर,
बहुत उम्दा।
था इतिहास में जो परिंदा सुनहरा
मैं वो हिंद औ वो वतन ढूंढता हूँ ।
बेहतरीन शे'र और बेहतरीन गजल।

Comment by Rekha Joshi on July 13, 2012 at 12:02am

संदीप जी 

था इतिहास में जो परिंदा सुनहरा   
मैं वो हिंद औ वो वतन ढूंढता हूँ ,सुंदर अभिव्यक्ति ,बधाई 
Comment by deepti sharma on July 12, 2012 at 10:46pm

जो लिपटे तिरंगा बदन से सुकूँ लूं
वो दो गज जमीं वो कफ़न ढूंढता हूँ

वाह बहुत खूब  बहुत ही सुंदर रचना बधाई आपको

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 12, 2012 at 10:20pm

था इतिहास में जो परिंदा सुनहरा   
मैं वो हिंद औ वो वतन ढूंढता हूँ 

जो लिपटे तिरंगा बदन से सुकूँ लूं 
वो दो गज जमीं वो कफ़न ढूंढता हूँ 

प्रिय संदीप  जी ..देश भक्ति से ओत प्रोत रचना ..जय हिंद ..जागो नवजवानों जागो आओ स्वप्न देखें उस सोने की चिड़िया के  ...बधाई 

भ्रमर ५  ..

 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 12, 2012 at 7:52pm

आदरणीया डॉ साहिबा आपको ग़ज़ल पसनद आई मेरा लिखना सफल हो गया
आपका बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 12, 2012 at 6:21pm

आ. संदीप पटेल जी

बेहद खूबसूरत ग़ज़ल...
 
था इतिहास में जो परिंदा सुनहरा  
मैं वो हिंद औ वो वतन ढूंढता हूँ ...... स्विस बैंक में बंद है शायद
 
जो पैसा कमाना अभी सीखते हैं
मैं उनमे कलामो रमन ढूंढता हूँ...... बहुत सुन्दर
 
हर शेर देशप्रेम  की खुशबू से महक रहा है... बेहद सुन्दर ख़ोज....
वो उम्दा पुराना चलन ढूंढता हूँ
हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
23 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service