For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

मेरी रूह वही है, मेरा जिस्म वही है
मेरी आह  वही है, मेरी राह वही है
मेरा रोग वही है, औ दवा भी वही है
मेरा साया पीछे छूटे भला कैसे मुझी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

मेरी यार वही है , दिलदार भी वही है
वो ही सावन है , औ फुहार भी वही है
वो ही खिलता गुलाब बहार भी वही है
मैं तो डरता हूँ उसे न हो इश्क किसी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

वो है हार मेरी, मेरी जीत भी वही है
वो प्रीत और प्रीत की रीत भी वही है
वो ही मेरी खुदा मनमीत भी वही है
मैं हूँ वो, वो है मैं, क्यूँ मैं रूठा खुदी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

जिसे देख के नाचूँ झूमूँ गाऊं ख़ुशी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से

संदीप पटेल "दीप"

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 21, 2012 at 9:06am

आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय महाजन सर
स्नेह बनाये रखिये

Comment by Harash Mahajan on July 20, 2012 at 12:52pm


"मेरा यार वही है, दिलदार भी वही है "....वाह ....

बहुत ही सुंदर गीत संदीप पटेल जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 20, 2012 at 12:27pm

आदरणीय सौरभ सर जी
गीत लिखते समय दो लयों का संयोजन करना होता है
तब मुखड़े को अंतरों के साथ मिलाना धीरे धीरे सीख रहा हूँ
फिर भी कुछ कमी रह जाती है
जैसे मेरे पिछले गीत मैं भी यही कमी रह गयी थी
मुझे कुछ मार्गदर्शन दे कर मेरा मार्ग प्रसस्त करें
ताकि रचनाओं के साथ समुचित न्याय हो सके

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 20, 2012 at 12:18pm

आप सभी को ये गीत पसंद आया मेरा लिखना सार्थक हो गया
गुरुजन की बातों का ध्यान मेरे अगले गीत में रखने का पूरा पूरा ख़याल रखूँगा
भाई अरुण जी ये सब आपकी मोहब्बतों का पर्याय है जो मैं लिख रहा हूँ और आप सुधीजनों की प्रसंसा मिल रही है
मन प्रफुल्लित हो जाता है और एक नयी ऊर्जा मिल जाती है आपकी इन प्रतिक्रियाओं से
अपना ये स्नेह बनाये रखिये मुझ पर
आप सभी का ह्रदय की गहराइयों से सादर आभार

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 20, 2012 at 12:38am

मेरी रूह वही है, मेरा जिस्म वही है 
मेरी आह  वही है, मेरी राह वही है 
मेरा रोग वही है, औ दवा भी वही है 

मैं हूँ वो, वो है मैं, क्यूँ मैं रूठा खुदी से 
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से 

प्रिय संदीप जी बिलकुल मत रूठिए स्व से ...आप को आप की दवाई की हर दुआ लग जाए बात बन जाए  ...बधाई 


भ्रमर ५ 
Comment by आशीष यादव on July 20, 2012 at 12:37am

बढ़िया गीत पर बधाई स्वीकारें।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 19, 2012 at 4:56pm

अच्छा गीत है.. .  मुखड़े ने बस मोह लिया.  उस हिसाब से अंतरा कमतर लगे. इन्हें कुछ बेहतर ढंग से शाब्दिक किया जा सकता था.

बहरहाल बधाई.

Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 1:04pm

सुन्दर गीत मित्रवर ! आपकी बहुमुखी प्रतिभा का कायल हूँ !

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on July 18, 2012 at 11:06pm

मेरी रूह वही है, मेरा जिस्म वही है
मेरी आह  वही है, मेरी राह वही है

वाह क्या बात है प्रेम का एक अप्रतिम गीत लिखने पर आपको हार्दिक बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 18, 2012 at 7:12pm

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...

मैं हूँ वो, वो है मैं, क्यूँ मैं रूठा खुदी से
मुझे इश्क हुआ है उसी से, उसी से
मिठास भरी, कोमलतम भावों युक्त, मानवी प्रेम के एकत्व भाव को दर्शाते सुन्दर गीत के लिए बधाई संदीप पटेल जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
13 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service