For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम तुमसे मिल रहे है बड़ी मुद्दतो के बाद ,


दर्द

आँखों पे जब से पड़ गयीं नज़रें फरेब की
आंसू हमारे और भी नमकीन हो गए
तुमने हमारे दर्द की लज्ज़त नहीं चखी
जिसने चखी वो दर्द के शौक़ीन हो गए

मुलाक़ात

हम तुमसे मिल रहे है बड़ी मुद्दतो के बाद ,
दो फूल खिल रहे है बड़ी मुद्दतो के बाद .
जुम्बिश हुई लबो को तो महसूस ये हुआ ,
ये होंठ हिल रहे है बड़ी मुद्दतो के बाद

अपनी माटी

हर इक इंसान को करना चाहिए सम्मान मिटटी का
के चलता फिरता पुतला है हर इक इंसान मिटटी का
हमारा घर है मिटटी का हमारी कब्र मिटटी की
यूँ मर कर भी उतर सकता नहीं एहसान मिटटी का

घर

जो देखी कभी मैंने वीरान बस्ती
मुझे अपने दिल का नगर याद आया
रहा अपने घर में ही परदेसी बनकर
जो परदेस निकला तो घर याद आया

बेरुखी

कौन कहता है के वो घर मेरे क़ज्दन आये
जब कभी घर मेरे आये तो वो सहबन आये
सारे एहबाब ही आये मिज़ाज पुरसी को
इसलिए मेरी अयादत को वो रस्मन आये


Views: 481

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hilal Badayuni on October 20, 2010 at 11:47am
shukriya preetam bhai jo aapne in ashaar ko apni muhabbat se nawaza
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on October 17, 2010 at 6:01pm
आँखों पे जब से पड़ गयीं नज़रें फरेब की
आंसू हमारे और भी नमकीन हो गए
तुमने हमारे दर्द की लज्ज़त नहीं चखी
जिसने चखी वो दर्द के शौक़ीन हो गए

waah hilal bhai waah...dil jeet liya aapne
Comment by DEEP ZIRVI on October 9, 2010 at 11:57pm
urdu me zra haath tng hai
Comment by DEEP ZIRVI on October 9, 2010 at 11:56pm
jio
Comment by Hilal Badayuni on October 6, 2010 at 3:51pm
navin bhai by mistake insaan hua hai insaa hi sahi hai
aap jaise samajhdaar shohra aasani se samajh sakte hai

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 6, 2010 at 9:10am
वाह वाह हिलाल भाई , वैसे तो सभी क़तात अच्छे लगे पर "दर्द" कुछ ज्यादा ही अच्छा लगा,
आँखों पे जब से पड़ गयीं नज़रें फरेब की
आंसू हमारे और भी नमकीन हो गए
तुमने हमारे दर्द की लज्ज़त नहीं चखी
जिसने चखी वो दर्द के शौक़ीन हो गए,
बहुत खूब ,
Comment by आशीष यादव on October 6, 2010 at 6:31am
ek baar fir dil khil utha. umda she'r sabhi kamaal ke.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
2 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
14 hours ago
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
19 hours ago
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Wednesday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service