1.
उस बिन दुनिया ही धुंधलाए
नयना दुख-दुख नीर बहाए,
है सौगात, नायाब करिश्मा,
ऐ सखि साजन ? न सखी चश्मा l
2.
नज़र नज़र में ही बतियाए,
देख उसे मन खिल खिल जाए,
सुबह शाम उसको ही अर्पण,
ऐ सखि साजन? न सखी दर्पण l
Comment
आदरणीय सौरभ पण्डे जी को नमन | डॉ.प्राची जी के कह मुकरिया में जिस बारीकी से संशोधन के सुझाव दिए है, वह बहुत प्रभावकारी है और सिखाने की उनकी परवर्ती को साधुवाद |-लक्ष्मण लडीवाला
डॉ० प्राची जी,
आप द्वारा रचित उपरोक्त सभी कहकरियाँ अद्वितीय बन पड़ी हैं ! जिनके लिए साधुवाद स्वीकारें !
खग कलरव सुर छंद सुनाती,
प्रात खिले विस्मित कर जाती.
भोर उगे भा जाए सांची
क्या प्रभु किरणें ? नहिं प्रभु प्राची !
तथापि शिल्प सम्बन्धी गुणवत्ता में अभिवृद्धि के निमित्त कुछ सुझाव उदाहरण स्वरूप दिए जा रहे हैं ...........
//1.
उस बिन दुनिया ही धुंधलाए
अखियाँ दुःख-दुःख नीर बहाएं,
है सौगात, नायाब करिश्मा,
ऐ सखी साजन ? न सखी चश्मा l
2.
नज़र नज़र में ही बतियाए,
देख उसे मन खिल खिल जाए,
सुबह शाम उसको ही अर्पण,
ऐ सखी साजन? न सखी दर्पण l
3.
साथ बिताएँ रैन दोपहरी ,
बातें करता मीठी गहरी ,
नटखट भी और बुद्धिजीवी ,
ऐ सखी साजन ? न सखी टीवी l
4
आते ही मुस्कान जगाए,
ख़्वाबों को ताबीर दिलाए ,
खुल्ली शौपिंग,कभी ज्वेलरी ,
ऐ सखी साजन ? न सखी सेलरी l//
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1.
उस बिन दुनिया ही धुंधलाए
नयना दुख-दुख नीर बहाए,
है सौगात, सुरम्य करिश्मा,
ऐ सखि साजन ? नहिं सखि चश्मा !
2.
नज़र-नज़र में ही बतियाए,
देख उसे मन खिल-खिल जाए,
सुबह शाम उसको ही अर्पण,
ऐ सखि साजन? नहिं सखि दर्पण !
3.
साथ बिताये रैन दुपहरी ,
बातें उसकी मीठी गहरी ,
मजेदार नटखट मन जीवी ,
ऐ सखि साजन ? नहिं सखि टीवी !
4
आते ही मुस्कान जगाए,
ख़्वाबों को ताबीर दिलाए ,
खुल्ली शौपिंग, मिले ज्वेलरी ,
ऐ सखि साजन ? नहीं सेलरी ! सादर
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बहतु बेहतरीन तरीके से मुकर गयीं हैं आप
बहुत सुन्दर लेखन के लिए आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीया
प्राची जी बहुत ही समसामयिक मुकरियाँ है और सुंदर भी...इस मुकरी ने तो चश्मा लगाने वालों की पीड़ा को उकेर दिया...उस बिन दुनिया ही धुंधलाए
अखियाँ दुःख-दुःख नीर बहाएं,
है सौगात, नायाब करिश्मा,
ऐ सखी साजन ? न सखी चश्मा l
सही कहा है....ये नायाब है॥वर्ण दुनिया फीकी फीकी लगती है...
बहुत बहुत बधाई !!
achha laga baanch kar
बहुत सुन्दर ..कह मुकरियाँ
सभी मजेदार लगी
रोचक कह मुकरियाँ.........बधाई स्वीकारें........
चश्मा ,दर्पण ,वेतन ,टीवी
नटखट भी और बुद्धिजीवी
मनवा करता है धुक धुक री
ऐ सखी साजन ? ना................ "कहमुकरी"
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