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खामोश हूँ

शांत सागर सी 
भीतर हलचल 
 
इक हूक 
सीने में उठती 
ज्वालामुखी सी 
 
प्यार किया 
दिल से चाहा
पर तन्हा 
 
काश कोई 
समझ पाता मुझे 
जी लेती 
 
लब खुले 
कुछ कहने को 
आवाज़ गुम
शब्द नही 
धड़कन में तुम
हूँ निशब्द  

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Comment

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Comment by Rekha Joshi on August 6, 2012 at 11:33am

प्रोत्साहन के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय अशोक जी आपके कमेंट्स मेरे लिए बहुत महत्व रखते है ,आभार 

Comment by Rekha Joshi on August 6, 2012 at 11:30am

आदरणीय सूरज जी ,सादर नमस्ते ,आपके कमेन्ट से मै भी निशब्द हो गई ,आपका बहुत बहुत आभार 

Comment by Rekha Joshi on August 6, 2012 at 11:27am

यूं ही उत्साह बढाते रहिये अरुण जी ,आपका बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Rekha Joshi on August 6, 2012 at 11:26am

गौरव जी ,प्रोत्साहन  हेतु आपका बहुत बहुत आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 6, 2012 at 10:14am

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति,हार्दिक बधाई आ रेखा जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 6, 2012 at 9:39am

क्या बात है बहुत सुन्दर भाव कम शब्दों में प्रभावी रचना

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 6, 2012 at 8:37am

रेखा जी

           सादर, निशब्द को भी आपने सुन्दर शब्दों में बांधा है. बधाई स्वीकारें.

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on August 6, 2012 at 7:52am
लब खुले 
कुछ कहने को 
आवाज़ गुम
शब्द नही 
धड़कन में तुम
हूँ निशब्द ...............वाह वाह 
क्या बात है रेखा जी.....चंद शब्दों की इस छोटी से कविता में आपने तो मन का सागर ही पलट दिया....सुंदर कविता ने मुझे भी निःशब्द कर दिया...बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें !!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on August 5, 2012 at 11:18pm

अंतर्मन की अनुभूतियों का सुंदर शब्द-चित्र खींचने के लिये, रेखा जी बधाई...

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 5, 2012 at 10:27pm

bahut sundar kavita rekha ji......badhai.........

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