For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ नए खेल ओलम्पिक के लिये........
-----------------------------------------
करोडो के देश में चंद लोग पदक पा कर देश का नम ऊँचा उठा रहें हैं....ये बात हजम नहीं हो रही है. उसमे से भी आधे वो लोग है जिन्हें किस्मत से भ्रूण-हत्या से निजात मिली और आज हम उनके गौरव के जुलूस में नारे लगा रहें हैं. हमारा दोगलापन भी हमारे-अपने तरह का ही है उसका कोई सानी नहीं......... हम विषय से भटक रहे हैं...सो ओलम्पिक में हमारे पदक जीतने लायक खेल ही शामिल नहीं किये जाते. पश्चिम देशों की मिलीभगत ने हॉकी तक को एश्त्रो-टर्फ और ना जाने कहाँ-कहाँ पटक कर लम्बा कर दिया और हमारे सितारे है कि आज क्वालीफाई होने के लिये भी लाचार होते हैं. इस चक्कर में मै सोचता हू कि कुछ खालिस देसी टाईप के खेलो की लिस्ट बनाई जाय और अगले ओलम्पिक हेतु ससम्मान भेज दी जाय.....
खेल न.१..
----------
भ्रूण-हत्या की रेस.....पहले लगता था की ये खेल खालिस देहाती इलाको में ही खेला जाता है मगर भाई आमिर खान ने आंकड़ो के हवाले से कह दिया की शहरों में भी इस खेल ने लोगो को आनंद दिया है. अब भाई क्वालिफाइड डाक्टर थोड़े ही भ्रूणहत्या के खेल में भाग लेने के लिये  गाँव-देहात में जाने की जहमत उठाएंगे!! तुमको खेलना है तो सामान लेकर शहर आओ...मैदान हम मुहैय्या करा देंगे. सो ये खेल आज आज़ादी के पचास साल बाद भी शान से खेला जा रहा है.. अब विरोध करने वालो का क्या...वो तो लन्दन ओलम्पिक का भी विरोध करते थे और अब वही लोग टी.व्ही. से चिपक के तालियाँ पीट रहें हैं. इस भ्रूण हत्या की दौड़/रेस यदि कराई जाय तो मेरा दावा है कि इसके ही बदौलत चार-पांच पदक हमारी झोली में टन-टन करेंगे.....
खेल न. २..
-----------
बयानों की तीरंदाजी....क्या नेता क्या धर्म-गुरु..क्या फिरकापरस्त और क्या पंचायते...सब के सब बयानों की ऐसी तीरंदाजी करते है कि निशाना भी लग जाता है और सबूत का निशान भी नहीं दिखता...देश में ऐसे तीरंदाज़ हर जगह प्रचूर मात्रा में मिल जायेंगे. इनके चुनाव के लिये ही देश में एक मिनी ओलम्पिक करवाना पड सकता है.
खेल न. ३...
------------
एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर कि नौकायन...ये खेल केवल मंत्रियों के लिये है..इस खेल की विशेषता यानी घर में बीबी को छोड़ के देश सेवा में रत मंत्रियों को इस खेल में महारत हासिल है.राजनीती में अपना घर ढूंढने आई बेचारी बच्चियों(जो भ्रूण हत्या से बच गई) को ये मंत्रीगण सब्ज-बाग दिखाना और अपने रुतबे की नौका पर अपने मन भरने तक सैर कराना और मौका पाकर पानी में धकेल देना....आजकल ये खेल भी जोरो पर है..
कुश्ती की तरह इसमे भी हरियाणा का नाम बुलंदियों पर है. अब ये थे कुछ खेल मैंने सुझाये...आप भी बताये
--------------
पदक जीतने के लिये खेलो का अम्बार.
तुम्हे पदक दिलवा देगा भैय्ये भ्रष्टाचार!!!!!!!!!!
...अविनाश बागडे.

Views: 449

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 13, 2012 at 10:38pm

भाई अविनाश जी आपका जवाब नहीं

बढ़िया व्यंग

घाव करत गंभीर

Comment by AVINASH S BAGDE on August 12, 2012 at 11:09pm

 

लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाल जी...आपके शब्द-बल का सादर आभार.
Comment by AVINASH S BAGDE on August 12, 2012 at 11:09pm

 

सौरभ जी आज का मेरा कटाक्ष पूरी तरह सार्थक हुआ...आभार.
Comment by AVINASH S BAGDE on August 12, 2012 at 11:09pm

 

आभार अरविन्द कुमार जी संजय कुमार जी
Comment by AVINASH S BAGDE on August 12, 2012 at 11:08pm

संदीप भाई..मेरे कटाक्ष के तीर सही निशाने पर लगे है ....आपकी पसंद इस बात का प्रमाण है...

Comment by Sanjay Kumar Singh on August 12, 2012 at 5:17pm

Kyaa kahe, dil mey nakratmak bhav to aate hi hai, sahi katakchh kiya hai mahoday, hardik badhai.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 12, 2012 at 4:15pm

वाह भाई अविनाश जी वाह .. .  आपकी पंक्तियों ने वो कटाक्ष किया है कि अब विसंगतियों के बचने की उम्मीद नहीं.. . 

क्या तीर चलाया है आपने भाई साहब ! वाह !! कई निशाने एक साथ सधे हैं.

बहुत-बहुत बधाई हो.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 11, 2012 at 7:47pm
आदरणीय अवनाश बागडे जी, कुछ महत्वपूर्ण खेल जिनमे स्वर्ण पदक जीतने के पुरे 
अवसर है, वे और जोडले जैसे - वायु प्रदूषित करने का खेल, २. जल प्रदुषण क्रीडा 
3- पलंग पोलो(इसमे रजत पदक के अवसर), सामयिक कटाक्ष करती रचना हेतु बधाई   
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
Comment by ARVIND KUMAR TIWARI on August 11, 2012 at 6:32pm

उम्दा कृतित्व पर हार्दिक बधाई

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 11, 2012 at 3:42pm

बहुत सुन्दर खेल कहे हैं आपने बिलकुल सही कहा
खेलो वो ही जिसमे कुछ तमगे मिल भी सकें और जिसमे आपको महारत हासिल है
वाह वाह वाह जबरदस्त साहब कटाक्ष अच्छा लगा
बधाई हो इस उन्मुक्त कटाक्ष के लिए

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह अशोक भाई। बहुत ही उत्तम दोहे। // वृक्ष    नहीं    छाया …"
14 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पीछा करते  हर  तरफ,  सदा  धूप के पाँव।   जल की प्यासी…"
23 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"     दोहे * मेघाच्छादित नभ हुआ, पर मन बहुत अधीर। उमस  सहन  होती …"
37 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत उत्तम दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई।। प्रदत्त चित्र के आधार में छिपे विभिन्न भावों को अच्छा छाँदसिक…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे*******तन झुलसे नित ताप से, साँस हुई बेहाल।सूर्य घूमता फिर  रहा,  नभ में जैसे…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी को सादर अभिवादन।"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
23 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service