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Ashok सर ,मेरी इस रचना ने आपके ह्रदय को स्पर्श किया
बहुत बहुत आभार सौरभ जी..आपको मेरी बात ने ऐसी उम्दा टिप्पणी करने को बाध्य कर मेरे लेखन को सार्थकता का जामा पहनाया...
वाह साहब बहुत सुन्दर.... दिल के अरमा आंसुओं में बह गये...
कहने-कहने में आपने क्या नहीं कह डाला, भाई अविनाशजी, और बघार भी वो डाली कि वाह-वाह-वाह कर उठे. राजनीतिक परिदृश्य की क्या ही तस्वीर निकाली है ! वाह !!लेख में चुटीलेपन के लिये बधाई स्वीकरें.
aabhar Rekha mam..
हमें अभी भी इंतजार है दिन वाली चमकीली आज़ादी का जिसका सपना हमारे हर स्वतंत्रता सेनानी या शहीदों ने देखा था....
Shukriya Sandeep bhai..
आदरणीय अविनाश सर जी सादर नमन
क्या गजब का कटाक्ष किया है आपने
आज़ादी के मायने ग़ज़ब के हो गए हैं अजब की संस्कृति हो गयी है क्या कीजिये
rajesh kumariमैम,बहुत-बहुत आभार आपकी हौसला अफजाई का....
बहुत जबरदस्त कटाक्ष किया है अविनाश बागडे जी हम लोगों ने ही अपनी मानसिकता के चलते आजादी के मायने खो दिए हैं बहुत संघर्ष करना पड़ेगा वास्तविक आजादी के लिए --बहुत बहुत बधाई
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