For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जन्म सिद्ध अधिकार बनाम....स्वतंत्रता????
------------------------------------------------
१४ और  १५ अगस्त की आधी रात को दो देशों को फिरंगियों से आज़ादी नसीब हुई.
आखिर आज़ादी दिन के उजाले में नहीं मिली ...मिली तो रात की कालिमा के साये में सो वो कालिमा 
स्वतंत्रता के  इस अधिकार को ऐसा डस रही है कि बस !!! 
पाक कि आज़ादी बोले तो वो कभी अपनी कट्टर-पंथी छवि से मुक्त ही कहाँ हुआ है जो इत्मिनान से आज़ादी के बेर चखे..
ऊपर  से आतंकवादियों के निर्माण को उद्योग का दर्ज़ा दे के ..मुहँ की खा रहा है...
मुहँ की खा रहा है मतलब,सब कुछ  कर-कुराने के बाद ऐसा पल्टी मारता है कि कोई सांप भी शर्मा जाये ..
जाने दो बेचारा पाकिस्तान अपने ही बोझ तले एक बार फिर आज़ादी के लिये छटपटा रहा है ऐसे में उसे और क्यूँ परेशान करें.....
अब १५ को हमने आज़ादी पाई...
सब कुछ स्वतंत्र
कुछ भी करने को आज़ाद
रात को मिली ना स्वतंत्रता! सो दिन निकलते-निकलते सब कुछ चेंज....
वो चेंज आज बड़ा हो के बयानों के बड़बोलेपन  और भ्रष्टाचार  के राजनीतिक शिष्टाचार में 
ऐसा एक्सचेंज हो गया है की मत पूछो....
इन पचास सालो में हमारी तरक्की देखिए कि आज हम टॉयलेट में भी फोन की सुविधा अव्हेल कर सकते हैं और वहां से बता सकते है की मै आउट ऑफ़ स्टशन हूँ...हा...हा...हा.
बिना शादी किये लिव इन रिलेशनशिप के बिस्तर पे गुलछर्रे उड़ा कर खुद को अल्ट्रा माडर्न..माडर्न या 
चालू भाषा में बोले तो अगाऊ कहलाने की आज़ादी का जश्न मना रहें हैं लोग .
राजनीती में स्वतंत्रता की तो जैसे सीमाएं ही नहीं है....क्या कोड़ा (झारखंडी सी. एम. मधु कोड़ा ) और क्या कांडा हर ब्रांड का भ्रष्टाचार करने की असीमित आज़ादी....
राज-भवन में बुढौती में राज्यपाल पद की गरिमा को चार-चाँद लगा कर बाद में कोर्ट के लेबर-रूम में एक जवान बेटे के बाप के रूप में पैदा होने की अलौकिक आज़ादी..ठेठ एन .डी.स्टाइल... अरे देश आज़ाद है...कुछ भी करो.
दुकान एक खोलो माल दूसरा बेचो....लोकपाल विधेयक के मुद्दे की दुकान खोली और सरकार में भ्रष्ट मंत्रियो की गिनती करने का माल बेचने लगे ...नतीजा बैक टू पवेलियन...
योग और चूरन बेचने की टपरी लगाई  और लगे बेचने विदेशों से काला धन लाने का मुद्दा...अंततोगत्वा हरिद्वार रिटर्न....
बेचारी जनता का  क्या जो भी उठ-सुठ हांक लेता है....अब उसे भी तो स्वतंत्रता है ना ! किसी के भी  पीछे जाकर नारे लगाने की आज़ादी......
बड़ी-बड़ी स्कूल्स हैं...और उससे भी बड़ी कोचिंग क्लास बनाने की आज़ादी....नाम  सर्व-शिक्षा अभियान ...
आम जनता भी आज़ादी के माने खूब समझती है...
हर दर ओ दीवार को खानदानी पीकदान समझ कर पिचकारियाँ छोड़ता रहता है...
शर्मो-हया को घर में रख कर सरे आम सड़क के किनारे लघु से लेकर दीर्घ शंका का समाधान कर लेता है...आज़ाद है...सिंपल!
कुल मिला के हम उस आज़ादी को आलिशान भोग रहें है जो हमें रात में मिली थी
हमें अभी भी इंतजार है दिन वाली चमकीली आज़ादी का जिसका सपना हमारे हर स्वतंत्रता सेनानी या शहीदों ने देखा था....
क्या हम बच्चे जो अब जरुरत से ज्यादा ही बड़े हो गए हैं ,उस आज़ादी को संभाल पाएंगे जो इन पंक्तियों में बयान है...
 "हम लायें हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के. "
--------------------------------------------------------
अविनाश बागडे.

Views: 478

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by AVINASH S BAGDE on August 22, 2012 at 12:57pm

Ashok सर  ,मेरी इस रचना  ने आपके ह्रदय   को स्पर्श किया 

लेखन सार्थक हुआ...
Comment by AVINASH S BAGDE on August 22, 2012 at 12:57pm

बहुत बहुत आभार सौरभ जी..आपको मेरी  बात ने ऐसी उम्दा टिप्पणी करने को बाध्य  कर मेरे  लेखन को सार्थकता का जामा पहनाया...

Comment by Ashok Kumar Raktale on August 22, 2012 at 12:15am

वाह साहब बहुत सुन्दर.... दिल के अरमा आंसुओं में बह गये...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 21, 2012 at 11:42pm

कहने-कहने में आपने क्या नहीं कह डाला, भाई अविनाशजी, और बघार भी वो डाली कि वाह-वाह-वाह कर उठे. राजनीतिक परिदृश्य की क्या ही तस्वीर निकाली है ! वाह !!लेख में चुटीलेपन के लिये बधाई स्वीकरें.

Comment by AVINASH S BAGDE on August 21, 2012 at 11:20pm

aabhar Rekha mam..

Comment by Rekha Joshi on August 17, 2012 at 1:13pm

हमें अभी भी इंतजार है दिन वाली चमकीली आज़ादी का जिसका सपना हमारे हर स्वतंत्रता सेनानी या शहीदों ने देखा था....

क्या हम बच्चे जो अब जरुरत से ज्यादा ही बड़े हो गए हैं ,उस आज़ादी को संभाल पाएंगे जो इन पंक्तियों में बयान है...
 "हम लायें हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के,
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के. "बढ़िया कटाक्ष आदरणीय अविनाश जी ,बधाई 
Comment by AVINASH S BAGDE on August 17, 2012 at 12:23pm

Shukriya Sandeep bhai..

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 17, 2012 at 9:12am

आदरणीय अविनाश सर जी सादर नमन
क्या गजब का कटाक्ष किया है आपने
आज़ादी के मायने ग़ज़ब के हो गए हैं अजब की संस्कृति हो गयी है क्या कीजिये

Comment by AVINASH S BAGDE on August 16, 2012 at 8:23pm

rajesh kumariमैम,बहुत-बहुत आभार आपकी हौसला अफजाई का....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 16, 2012 at 3:31pm

बहुत जबरदस्त कटाक्ष किया है अविनाश बागडे जी हम लोगों ने ही अपनी मानसिकता के चलते आजादी के मायने खो दिए हैं बहुत संघर्ष करना पड़ेगा वास्तविक आजादी के लिए --बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
5 hours ago
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
10 hours ago
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Wednesday
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
Tuesday
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service