छंद:'कुकुभ' लिखने का पहला प्रयास (मात्रायें : १६-१४ अंत में दो गुरु)
प्रदूषित करते ना थके तुम ,भड़क गई उर में ज्वाला
क्रोधित हो कूद पड़ी गंगा ,सब कुछ जल थल कर डाला
डूब गए घर बार सभी कुछ ,राम शिवाला भी डूबा
कुपित हो गए मेघ देवता ,कोई नहीं है अजूबा
राजस्थान ,असम,झाड़खंड,नहीं बची उत्तरकाशी
प्रलय कभी ये नहीं सोचती ,कौन धरम कौनू भाषी
पर्वत पर्वत जंगल जंगल ,तुम चलाते रहे आरी
खूँ के आँसूं रोते हो अब ,आन पड़ी विपदा भारी
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Comment
//प्रदूषित करते ना थके तुम ,भड़क गई उर में ज्वाला
क्रोधित हो कूद पड़ी गंगा ,सब कुछ जल थल कर डाला//
आदरेया राजेश कुमारी जी कुकुभ छंद पर हाथ आजमाने के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकारें...........यह छंद रचने का बहुत अच्छा व भावपूर्ण प्रयास किया है आपने बस कहीं कहीं पर प्रवाह/गेयता में अवरोध सा आ रहा है अभ्यास से इसे निम्न प्रकार से सुधारा जा सकता है !
थके नहीं वो करें प्रदूषित ,भड़क गई उर में ज्वाला|
कूद पड़ी क्रोधित गंगा तब , सारा जल थल कर डाला||
पुनः बहुत-बहुत बधाई
सादर
अशोक कुमार रक्तेला जी आपने रचना को सराहा मेरी लेखनी को संबल मिला हार्दिक आभार
डूब गए घर बार सभी कुछ ,राम शिवाला भी डूबा
कुपित हो गए मेघ देवता ,कोई नहीं है अजूबा
राजस्थान ,असम,झाड़खंड,नहीं बची उत्तरकाशी
प्रलय कभी ये नहीं सोचती ,कौन धरम कौनू भाषी
बिलकुल सही है प्रकृति के साथ छेड करने का फल सभी को भुगतना पड़ता है.बहुत सुन्दर कुकुभ छंद और आपकी पचासवीं रचना पर आपकी हार्दिक बधाई.
सौरभ पाण्डेय जी आपने रचना को सराहा और मेरी अर्धशतकीय रचना पर टिपण्णी दी मेरा लिखना सार्थक हुआ हार्दिक आभार
पर्वत पर्वत जंगल जंगल ,तुम चलाते रहे आरी
खूँ के आँसूं रोते हो अब ,आन पड़ी विपदा भारी
इस संवेदनशील रचना पर आपका सादर धन्यवाद, आदरणीत राजेशकुमारी जी.
आभार राजेश जी :-))
सीमा अग्रवाल जी बहुत ख़ुशी हुई आपको यहाँ देखकर आपकी प्रशंसा और शुभकामनाएं सर आँखों पर बहुत प्यारा दोहा भेंट किया आपने
पर्यावरण के प्रति आपकी चिंता बिलकुल उचित है एक दोहा समर्पित करूंगी उस स्थिति को जिसका बयान आपने अपनी रचना में किया है
अनावृष्टि दिखती कहीं , और कहीं अतिवृष्टि
संकेतों में ही अभी, समझाती है सृष्टि
एक विचार शील रचना के लिए बधाई आदरणीय राजेश जी
रचनाओं की golden jubilee के लिए एक बार और बधाई शीघ्र ही आप शतक पूरा करे ऐसी शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ
बहुत बहुत हार्दिक आभार लक्ष्मण प्रसाद लडिवाला जी
बहुत बहुत हार्दिक आभार नवल जी
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