आईने से निगाहें हटा लीजिये
या निगाहों में हम को पनाह दीजिये
आपको दिल ने समझा है अपना नबी
थोडा अपने भी दिल को मना लीजिये
आप ही आप हैं हर निगाह हर तरफ
आये ना गर यकीं आजमा लीजिये
चश्म बेचैन है रौशनी के लिए
ऐ निहां अब तो परदा उठा दीजिये
हम ही हम हैं दीवाने हमीं बेफहम
आप भी होश थोडा गवां दीजिये
बोलो कब रहे तिश्नगी में नज़र
इश्क का जाम अब तो लुटा दीजिये
-पुष्यमित्र उपाध्याय
Comment
rekha didi,
albela sir,
sandeep bhai,
saurabh sir,
sandeep sir,
sube singh sir,
aur seema didi......aap sabhi ko kotisah naman evam sadar dhanyavaad protsahan hetu.....aashish bnaaye rakhiye
@sandeep ji निहां का अर्थ छुपा हुआ" या "गुप्त" .....ab shayad aasani ho aapko.. :)
चश्म बेचैन है रौशनी के लिए
ऐ निहां अब तो परदा उठा दीजिये,खूबसूरत गजल ,हार्दिक बधाई पुष्यमित्र जी
क्या कहने पुष्यमित्र उपाध्याय जी
बहुत खूब........
आप ही आप हैं हर निगाह हर तरफ
आये ना गर यकीं आजमा लीजिये
___हाय हाय हाय ................मज़ा आ गया
khoobsoorat ghazal ke liye dili daad kubool kijiye saahab
thoda bahr aur wajn kahi'n kahi'n toot rahe hain
ऐ निहां अब तो परदा उठा दीजिये
is pankti kaa arth samajh nahi paaya hun main
kshamaa sahit
ग़ज़ल पर हुआ आपका प्रयास सार्थक लगा, पुष्यमित्र जी . बधाई.
हम हि हम हैं दिवाने हमीं बेफ़हम,
आप भी होश थोड़ा गवां दीजिये;
ये शानदार शे'र दिल जीत ले गया उपाध्याय जी! क्या बात है?!?! आफ़रीन!! हासिले ग़ज़ल शे'र...!!
सादर,
वाह क्या बात की है निगाहों की......
बधाई
वाह बहुत बढ़िया गज़ल पुष्य मित्र जी
हम ही हम हैं दीवाने हमीं बेफहम
आप भी होश थोडा गवां दीजिये.......बहुत खूब
आपको दिल ने समझा है अपना नबी
थोडा अपने भी दिल को मना लीजिये.......बहुत सुन्दर अंदाजे-बयां
आखरी शेर पर एक बार फिर नज़र डाल लीजिए शायद कोई शब्द टाइप होने से रह गया है
बोलो कब रहे तिश्नगी में नज़र /बोलो कब तक रहे ...............
इश्क का जाम अब तो लुटा दीजिये
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