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आईने से निगाहें हटा लीजिये

आईने से निगाहें हटा लीजिये
या निगाहों में हम को पनाह दीजिये

आपको दिल ने समझा है अपना नबी
थोडा अपने भी दिल को मना लीजिये

आप ही आप हैं हर निगाह हर तरफ
आये ना गर यकीं आजमा लीजिये

चश्म बेचैन है रौशनी के लिए
ऐ निहां अब तो परदा उठा दीजिये

हम ही हम हैं दीवाने हमीं बेफहम
आप भी होश थोडा गवां दीजिये

बोलो कब रहे तिश्नगी में नज़र
इश्क का जाम अब तो लुटा दीजिये

-पुष्यमित्र उपाध्याय

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Comment

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Comment by Pushyamitra Upadhyay on August 25, 2012 at 9:24pm

rekha didi,

albela sir,

sandeep bhai,

saurabh sir,

sandeep sir,

sube singh sir,
aur seema didi......aap sabhi ko kotisah naman evam sadar dhanyavaad protsahan hetu.....aashish bnaaye rakhiye

Comment by Pushyamitra Upadhyay on August 25, 2012 at 9:19pm

@sandeep ji निहां का अर्थ छुपा हुआ" या "गुप्त" .....ab shayad aasani ho aapko.. :)

Comment by Rekha Joshi on August 24, 2012 at 8:35pm

चश्म बेचैन है रौशनी के लिए 
ऐ निहां अब तो परदा उठा दीजिये,खूबसूरत गजल ,हार्दिक बधाई पुष्यमित्र जी 

Comment by Albela Khatri on August 24, 2012 at 2:56pm

क्या कहने पुष्यमित्र उपाध्याय जी
बहुत खूब........

आप ही आप हैं हर निगाह हर तरफ
आये ना गर यकीं आजमा लीजिये

___हाय हाय हाय ................मज़ा आ गया

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on August 24, 2012 at 2:14pm

khoobsoorat ghazal ke liye dili daad kubool kijiye saahab

thoda bahr aur wajn kahi'n kahi'n toot rahe hain

ऐ निहां अब तो परदा उठा दीजिये

is pankti kaa arth samajh nahi paaya hun main

kshamaa sahit


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Comment by Saurabh Pandey on August 24, 2012 at 6:08am

ग़ज़ल पर हुआ आपका प्रयास सार्थक लगा, पुष्यमित्र जी . बधाई.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on August 24, 2012 at 4:17am

हम हि हम हैं दिवाने हमीं बेफ़हम,
आप भी होश थोड़ा गवां दीजिये;

ये शानदार शे'र दिल जीत ले गया उपाध्याय जी! क्या बात है?!?! आफ़रीन!! हासिले ग़ज़ल शे'र...!!

सादर,

Comment by सूबे सिंह सुजान on August 23, 2012 at 10:20pm

वाह क्या बात की है निगाहों की......

बधाई

Comment by seema agrawal on August 23, 2012 at 9:56pm

वाह बहुत बढ़िया गज़ल पुष्य मित्र जी 

हम ही हम हैं दीवाने हमीं बेफहम
आप भी होश थोडा गवां दीजिये.......बहुत खूब 

आपको दिल ने समझा है अपना नबी
थोडा अपने भी दिल को मना लीजिये.......बहुत सुन्दर अंदाजे-बयां 

आखरी शेर पर एक बार फिर नज़र डाल लीजिए शायद कोई शब्द टाइप होने से रह गया है 

बोलो कब रहे तिश्नगी में नज़र /बोलो कब तक रहे ...............
इश्क का जाम अब तो लुटा दीजिये

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