अहसासों के दरमियां
मेरे ख़्वाबों को जगाने
जब तुम आओगे ना
कुछ शरामऊँगी मैं
धडकनों को थामकर
कुछ बहक सा जाऊँगी मैं
मुझे बहकाने तुम आओगे ना ????
इठलाती सी धूप में
रूख पर नक़ाब गिराने
Comment
आदरणीय अम्बरीश जी और आदरणीय आशीष जी बहुत बहुत शुक्रिया .. यूँ ही मार्गदर्शन करते रहें आभार ..
मिलन की अजब तड़प लिए एक भावपूर्ण रचना। बहुत खूब|
//अकेलेपन में भींगी आँखों
के आंसूओं को पोंछने
जब तुम आओगे ना
एक मुस्कान खिल जायेगी
कुछ किस्से सुनने
भटकती इस ज़िंदगी में
मुझे अपना बनाने
आरजुओं को जगाने तुम आओगे ना ????//
भावपूर्ण रचना .......बहुत बहुत बधाई !
शुक्रिया आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी ... आपका बहुत बहुत आभार . मैं जरुर कोशिश करुँगी
शुक्रिया आदरणीय नादिर खान जी ... आपका बहुत बहुत आभार
विह्वलता को शाब्दिक बनाना सरल नहीं है. आपके प्रयास को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ.
आप नवगीतों पर सार्थक प्रयास करें दीप्तिजी. परिणाम से आप, सच मानिये, स्वयं चौंक जायेंगीं. शुभेच्छाएँ
बहुत ही उम्दा रचना दीप्ति जी
आदरणीय दीपक शर्मा जी ... आदरणीय योगी सारस्वत जी .... आदरणीया रेखा जी
बहुत बहुत आभार ....यूँ ही मार्गदर्शन करते रहें शुक्रिया
आदरणीय हरीश जी ... आदरणीय श्री राम जी .... आदरणीय नवल किशोर सोनी जी
बहुत बहुत आभार ....यूँ ही मार्गदर्शन करते रहें शुक्रिया
अति सुंदर भाव दीप्ति जी ,हार्दिक बधाई
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