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भारतीय सेना को समर्पित एक घनाक्षरी.........

भारती के झंडे तले, आए दिवा रात ढले,
देश के जवान चले, माँ की रखवाली में |

बाजुओं में शस्त्र धरें, मौत से कभी न डरें,
साथ-साथ ले के चलें, शीश मानो थाली में |

नाहरों की टोली बने, खून से ही होली मने,
शादियों में तोप चले, गोलियाँ दिवाली में |

भाग जाना दूर बैरी, वर्ना नहीं खैर तेरी,
काट-काट फेंक देंगे, एक-आध ताली में ||

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Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 2, 2012 at 7:35pm

आदरणीया राजेश जी......प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार.........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 2, 2012 at 7:33pm

आदरणीया रेखा जी........प्रोत्साहन के लिये आपका बहुत-बहुत धन्यवाद.......

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 2, 2012 at 7:31pm

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर.....आपसे प्रशंसा पाकर मन गदगद हुआ......स्नेह बनाये रखियेगा......आभार........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 2, 2012 at 7:29pm

प्रिय मित्र संदीप पटेल जी........प्रेमपूर्ण सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार........

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 2, 2012 at 7:28pm

आदरणीय गणेश सर.......उत्साहवर्धन एवं सराहना के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद........

Comment by Rekha Joshi on September 2, 2012 at 6:46pm

बहुत बढ़िया धनाक्षरी के लिए बहुत बहुत बधाई गौरव जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2012 at 10:57pm

कुमार अजीतेन्दु जी, आपकी घनाक्षरी ने तो रोमांच पैदा कर दिया. बहुत-बहुत बधाई.. .

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 1, 2012 at 3:11pm

बहुत शानदार घनाक्षरी रची है आदरणीय अजीतेंदु जी
इस शानदार छंद के लिए साधू साधू


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 1, 2012 at 2:49pm

वाह वाह, बहुत खूब, बिलकुल प्रवाह में है यह घनाक्षरी, वीर रस से ओत प्रोत इस कवित्त हेतु बहुत बहुत आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 1, 2012 at 11:41am

बाजुओं में शस्त्र धरें, मौत से कभी न डरें,
साथ-साथ ले के चलें, शीश मानो थाली में |---वाह कुमार अजीतेंदु जी लाजबाब ,जबरदस्त भावपूर्ण घनाक्षरी 

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