For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: मेरी डायरी के पन्ने- ३५

मुद्दत हो गई है कुछ भी लिखे, इक अधूरापन समा गया हो जैसे मेरे अन्दर, और गोया ये अधूरापन अपने अधूरेपन के अधूरेपन में ही मुतमईन हो. भोपाल से सफर पे आमादा हुए तीन हफ्ते गुज़र गए हैं और इन तीन हफ़्तों में कई मंज़िलात से गुज़रा- इंदौर-बैंगलोर-चेन्नई-बैंगलोर-मैसूर-बैंगलोर-चेन्नई- और फिर वापस बैंगलोर. आगे आने वाले दिनों में और भी कई जगहों का कयाम करना है- अहमदाबाद, पुणे, नॉएडा, जयपुर.... कभी हवा में थम से गए हवाई जहाज़, कभी लोहे की पटरियों पे दौड़ती रेल, कभी फर्राटे से भागती कार, तो कभी वोल्वो बस की यकसाँ रफ़्तार.

 

ज़िंदगी सफ़र-दर-सफ़र छोटी होती जा रही है और सफ़र मुकाम-दर-मुकाम लंबा.

न जाने कब भोपाल पहुंचूंगा और कब अपने घर पे कुछ रोज़ सुकून से गुज़ारने की किस्मत. बड़े होते जा रहे बच्चों के बाकी रह गए बचपन का कुछ और साथ, माँ के किरदार में बदलती जा रही बीवी की खिदमतदारियां, हमेशा मुहब्बत भरे लम्स ओ लगावट के भूखे मेरे नन्हें कुत्ते बौब्बी, निन्नी, और ओबामा, बावर्चीखाने में सबों के लिए नई नई रेसिपी बनाने के मज़े, और काम की उलझनों से बेखबर होकर ज़िंदगी को लम्हा लम्हा खर्च करने की आज़ादी- जो सारे जहां में नहीं है, वो मेरे घर में ही तो है!   

 

© राज़ नवादवी

बैंगलोर, सायंकाल ०५.१९, शनिवार, ०१/०९/२०१२

०१/०९/२०१२ 

Views: 402

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on September 6, 2012 at 8:54am

आदरणीया राजेश जी! मेरे लिखने के अंदाज़ को इतनी साफगोई से पसंद किया है आपने, इसका आभार नहीं चुका सकता, फिर भी आपका बहुत बहुत धन्यवाद! 

Comment by राज़ नवादवी on September 6, 2012 at 8:53am

आदरणीया रेखाजी, आपको मेरी रचना पसंद आई, ये जानकार बहुत अच्छा लगा और बेहद खुशी भी. आपका हार्दिक धन्यवाद!

Comment by Rekha Joshi on September 2, 2012 at 11:03pm
आदरणीय राज़ जी 
न जाने कब भोपाल पहुंचूंगा और कब अपने घर पे कुछ रोज़ सुकून से गुज़ारने की किस्मत. बड़े होते जा रहे बच्चों के बाकी रह गए बचपन का कुछ और साथ, माँ के किरदार में बदलती जा रही बीवी की खिदमतदारियां, हमेशा मुहब्बत भरे लम्स ओ लगावट के भूखे मेरे नन्हें कुत्ते बौब्बी, निन्नी, और ओबामा, बावर्चीखाने में सबों के लिए नई नई रेसिपी बनाने के मज़े, और काम की उलझनों से बेखबर होकर ज़िंदगी को लम्हा लम्हा खर्च करने की आज़ादी- जो सारे जहां में नहीं है, वो मेरे घर में ही तो है!   
अपना घर अपना ही होता है दुनिया के किसी भी कोने में चले जाओ लेकिन जो सकून अपने घर में मिलता है  वह कहीं नही मिलता ,बेहद खूबसूरती से अपने घर को याद किया है आपने  

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 2, 2012 at 7:26pm

आपका लिखने का अंदाज आपकी पोस्ट पर खींच लता है बस इससे ज्यादा और क्या कहूँ 

Comment by राज़ नवादवी on September 2, 2012 at 7:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सौरभ भाई! 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 1, 2012 at 11:06pm

बड़े होते जा रहे बच्चों के बाकी रह गए बचपन का कुछ और साथ, माँ के किरदार में बदलती जा रही बीवी की खिदमतदारियां,

दिल को छू गयी यह पंक्ति .. वाह !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
6 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
8 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
8 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service