दोस्तों, ग़ज़ल पेश ए खिदमत है गौर फरमाएं ..
बचा है अब यही इक रास्ता क्या
मुझे भी भेज दोगे करबला क्या
तराजू ले के कल आया था बन्दर
तुम्हारा मस्अला हल हो गया क्या
अचानक क्यों हुए हैं पानी पानी
हवा ने बादलों से कुछ कहा क्या
ग़ज़ल में रंग भरना है जरूरी
मगर सादा न हो तो फ़ायदा क्या
यहाँ पत्थर भी शीशा हो गया है
यहाँ से बन्द है हर रास्ता क्या
उदू से दफ्अतन मैं पूछ बैठा
हमारे दरमियाँ है मस्अला क्या
ग़ज़ल कह कर हुआ दीवाना मैं तो
ग़ज़ल सुन कर तुम्हें भी कुछ हुआ क्या
ए 'वीनस' काश मैं यह जान पाता
है रखना याद क्या, है भूलना क्या
Comment
बहुत ही ज़बरदस्त , वीनस भाई :)
"तराजू ले के कल आया था बन्दर
तुम्हारा मस्अला हल हो गया क्या"
एक शेर में पुरी कहानी और हकीकत भी. बहुत ही उम्दा :)
ग़ज़ल कह कर हुआ दीवाना मैं तो
ग़ज़ल सुन कर तुम्हें भी कुछ हुआ क्या..............वीनस भाई ऐसे कैसे हो सकता है आप दीवाने हो और पढ़ने वाला बच जाये। बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है ॥मशाल्लाह हर शेर कमाल के है ॥ दाद कुबूल करें !!
वाह वा वीनस जी वाह ... क्या कहने ! बहुत खूब.... बहुत खूब….
ग़ज़ल कहना भी आसां हो गया है
है कहने को खुदाया अब रहा क्या.
//ग़ज़ल में रंग भरना है जरूरी
मगर सादा न हो तो फ़ायदा क्या//
वाह !!!!!! इस ख्याल पर हजारों शेअर न्योछावर वीनस भाई.
वाह ! उस्ताद की कलम से उस्तादों वाली गज़ल ! नगीने जड़ दिए हैं आपने गज़ल में !
तराजू ले के कल आया था बन्दर
तुम्हारा मस्अला हल हो गया क्या ........ मज़ा आ गया पढकर !
ग़ज़ल कह कर मैं दीवाना हुआ हूँ
ग़ज़ल पढ़ कर तुम्हें भी कुछ हुआ क्या
बहुत कुछ हुआ सर जी लाजवाब |
सब कुछ आपने तो कह दिया
हमारे लिखने को अब बचा क्या
तराजू ले के कल आया था बन्दर
तुम्हारा मस्अला हल हो गया क्या...........वाह क्या प्रश्न है
हुए हैं शर्म से क्यों पानी पानी
हवा ने बादलों से कुछ कहा क्या.......बहुत प्यारा सा शेर
ग़ज़ल में रंग भरना भी जरूरी
मगर सादा न हो तो फ़ायदा क्या......बहुत ही खूब बात कही
ग़ज़ल कह कर मैं दीवाना हुआ हूँ
ग़ज़ल पढ़ कर तुम्हें भी कुछ हुआ क्या.........जी जी इतनी ज़बरदस्त ग़ज़ल पढ़ कर inferiority complex हो रहा है
दुआ है आप इसी तरह ग़ज़ल कहें और दीवाने होते रहें .......दिली मुबारकबाद वीनस जी
बेहतर.....
उम्दा ग़ज़ल।
ग़ज़ल कह कर मैं दीवाना हुआ हूँ
ग़ज़ल पढ़ कर तुम्हें भी कुछ हुआ क्या
जब ’कहा’ तो हमने ’सुन’ लिया.. ’लिखा’ होता तो ’पढ़’ भी लेते.. . :-)))
मुबारकबाद इस ग़ज़ल के लिये.
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