मर्गोजीस्त के राज़ मेरे सीने में कैद हैं
हम बग़दाद के नहीं, हिन्द के जुनैद हैं
खुशी होती तो मर न गए होते कब के
जीरहें है कि गममें मुब्तलाओमुस्तैद हैं
दिल कोई तिफ्लहै पूछे है तेरी तस्वीरसे
इक मुझ को ही तेरे दीदार क्यूँ नापैद हैं
रोज़ेकारेमाशी शामेमैकशी शबेख्वाबीदगी
न जाने हम कबसे बामशक्कत बाकैद हैं
'राज़' की उम्र हुई है, पे अन्वार बाकी है
जुज़ आँखकी पुतली सारे उज़व सुफैदहैं
© राज़ नवादवी
भोपाल, ०६.१५ संध्याकाल, १७/०९/२०१२
मर्गोजीस्त- मौत और जिन्दगी; जुनैद- बग़दाद के इक बहुत बड़े ऋषी; मुब्तलाओमुस्तैद- डूबे और सावधान; तिफ्ल- बच्चा; दीदार- दर्शन; नापैद- अप्राप्य; रोज़ेकारेमाशी शामेमैकशी शबेख्वाबीदगी- दिन पैसे कमाने के, शाम शराब पीने की, और रात सोने की, अन्वार- नूर का बहुवचन, प्रकाश; जुज़- सिवा; अज्व- अंग
Comment
सीमा जी, बहुत बहुत शुक्रिया!
आदरणीय डाबरे साहेब, हम आपकी इस तारीफ़ के काबिल तो नहीं, मगर आपके लफ़्ज़ों के पीछे छुपे आपके जज़्बात को आपका दिया नायाब तोहफा समझके क़ुबूल करते हैं और दिल से आपका शुक्राना. खास आपके लिए ये शेर फरमाता हूँ जो बेसाख्ता मेरी जुबां पे अभी अभी आया -
निस्बतें बढ़ीं यूँ हमसे ज़माने की हौले हौले
खुलती गईं सब तहें अफ़सानेकी हौले हौले
- राज़ नवादवी
राज भाई आप इस ज़माने के नहीं सदियों के शायर हैं, मर्गोजीस्त के राज़ मेरे सीने में क़ैद हैं हम बगदाद के नहीं हिंद के जुनैद हैं. एक और बेहतरीन ग़ज़ल जिसे पढ़ कर आदमी सन्न रह जाये........ आप लाजवाब हैं हमें आपकी और ग़ज़लों का इंतज़ार है..................... प्रमेन्द्र डाबरे
रोज़ेकारेमाशी शामेमैकशी शबेख्वाबीदगी
न जाने हम कबसे बामशक्कत बाकैद हैं........वाह के सिवा और क्या कहा जाये
राज़' की उम्र हुई है, पे अन्वार बाकी है
जुज़ आँखकी पुतली सारे उज़व सुफैदहैं............दिल को छूने वाला शेर
शब्दों के अर्थ साथ में देने से समझना आसान हो गया इसके लिए शुक्रिया
शुक्रिया आदरणीया राजेश जी, आपकी दाद का मग्नून हूँ जो हमेशा हम जैसों का हौसला बढाती है.
मर्गोजीस्त के राज़ मेरे सीने में कैद हैं
हम बग़दाद के नहीं, हिन्द के जुनैद हैं
मतले से ही ग़जब की ग़ज़ल का आग़ाज हुआ
रोज़ेकारेमाशी शामेमैकशी शबेख्वाबीदगी
न जाने हम कबसे बामशक्कत बाकैद हैं
और ये शेर भी बहुत पसंद आया दिली दाद कबूल करें राज़ नवादवी जी |
आदरणीय योगराज जी, आप जैसे सुधीजनों की प्रशंसा पा कर दिल फूले नहीं समाता. बहुत बहुत धन्यवाद.
//मर्गोजीस्त के राज़ मेरे सीने में कैद हैं
हम बग़दाद के नहीं, हिन्द के जुनैद हैं//
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वाह वाह वाह - बेहद दिलकश मतला राज़ साहिब, दाद कबूल फरमाएं.
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