मुझे तलाश है उस भोर की ,जो नव दिव्य चेतना भर दे |
निज लक्ष्य से ना हटें कभी
अटूट निश्चय पे डटें सभी
ना सत्य वचन से फिरें कभी
ना निज मूल्यों से गिरें कभी
जो गर्दन नीची कर दे
मुझे तलाश है उस भोर की ,जो नव दिव्य चेतना भर दे |
दूजों के दुःख अपनाएँ हम
अक्षत पुष्प बरसायें हम
नेह का निर्झर बहायें हम
जग के संताप मिटायें हम
भगवन ऐसा अवसर दे
मुझे तलाश है उस भोर की ,जो नव दिव्य चेतना भर दे |
प्रीत प्रकृति नव्य सृजन करे
पूर्ण समर्पित हिय भाव भरे
तन मन में सिमटी व्याधि हरे
कलुषित कलंकित भाव झरें
मति संयत उन्नत कर दे
मुझे तलाश है उस भोर की ,जो नव दिव्य चेतना भर दे |
नई शक्ति का समावेश हो
अनुद्दत आचरण विशेष हो
ना आक्रोश ना आवेश हो
नव्यजीवन सूत्र विशेष हो
नवगीतों में नव स्वर दे
मुझे तलाश है उस उस भोर की ,जो नव दिव्य चेतना भर दे |
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Comment
लक्ष्मण प्रसाद जी आपकी टिपण्णी सर आँखों पर हार्दिक आभार आपको रचना पसंद आई
प्रीत प्रकृति नव्य सृजन करे,पूर्ण समर्पित हिय भाव भरे
तन मन में सिमटी व्याधि हरे, कलुषित कलंकित भाव झरें
मति संयत उन्नत कर दे, और नवगीतों में नव स्वर दे
मुझे तलाश है उस उस भोर की ,जो नव दिव्य चेतना भर दे |
बहुत सुन्दर आकांशा लिए भावो की काव्य रचना के लिए हार्दिक बधाई
आदरणीया राजेश कुमारी जी
गणेश बागी जी आपकी प्रतिक्रिया से मेरी लेखनी को नई उर्जा मिली हार्दिक आभार
राज नवद्वी जी आपकी प्रतिक्रिया से उत्साह वर्धन हुआ बहुत बहुत शुक्रिया
//
नई शक्ति का समावेश हो
अनुद्दत आचरण विशेष हो
ना आक्रोश ना आवेश हो
नव्यजीवन सूत्र विशेष हो//
बहुत ही सुन्दर चाहत, इस रचना में दुनिया बदलने की कुबत है आदरणीया, पूरी रचना बहुत ही प्रवाहमय बन पायी है, बहुत बहुत बधाई इस अभिव्यक्ति पर |
वैसे तो सम्पूर्ण रचना में गज़ब का ओज और प्रवाह है, परन्तु विशेष तौर पे-
१) दूजों के दुःख अपनाएँ हम ...........एवं
२) नई शक्ति का समावेश हो....
इन दो अंतरों ने भाव विह्वल किया... 'न आक्रोश, न आवेश' की बात बहुत पसंद आई. बधाई हो राजेश जी!
हार्दिक आभार नीरज जी उत्साह वर्धन करती हुई आपकी प्रतिक्रिया के लिए आपका स्वागत है आपको रचना पसंद आई
हार्दिक आभार ब्रिजेश कान्त जी आपका स्वागत है आपको रचना पसंद आई
हार्दिक आभार गुल सारिका झा जी आपका स्वागत है आपको रचना पसंद आई
हार्दिक आभार सतीश अग्निहोत्री जी आपको रचना पसंद आई
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