सीते मुझे साकेत विस्मृत क्यों नहीं होता !
सीते मुझे साकेत विस्मृत क्यों नहीं होता !
Comment
एक अलग भाव भूमि की रचना । प्रस्तुति हेतु साधुवाद और शुभकामनाएं !!
सुंदर रचना सही लिखा है राम और साकेत एक दूजे के पर्याय है |
उत्कृष्ट प्रस्तुति |
बधाई स्वीकारें बहन शिखा जी ||
अच्छी भाव-दशा का संप्रेषण हुआ है, बधाई.
श्वास श्वास में बसी साकेत की सौरभ , सौरभ स्त्रीलिंग में प्रयुक्त नहीं होता. या तो सौरभ के स्थान पर सुरभि कर लें.
bahut bhavpoorn apne desh ke liye ek deshbhakt ke bhav aise hi hote hain jaise ham sabhi ke vandniy prabhu shree ram ke aapne apni abhivyakti ke madhyam se prastut kiye hain .shandar prastuti aabhar
प्रिय शिखा जी बहुत ही प्यारा गीत लिखा , साकेत की स्मृति में राम की मनोव्यथा का सजीव चित्रण किया वाह बहुत बहुत बधाई
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