For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुण-सूत्रों की विविधता, बहुत जरूरी चीज |
गोत्रज में कैसे मिलें, रखिये सतत तमीज ||

गोत्रज दुल्हन जनमती, एकल-सूत्री रोग |
दैहिक सुख की लालसा, बेबस संतति भोग ||

नहीं चिकित्सा शास्त्र में, इसका दिखे उपाय |
गोत्रज जोड़ी अनवरत, संतति का सुख खाय ||

गोत्रज शादी को भले, भरसक दीजे टाल |
मंजूरी करती खड़े, टेढ़े बड़े सवाल ||

परिजन लेवे गोद जो, कर दे कन्या-दान |
उल्टा हाथ घुमाय के, खींचें सीधे कान ||

मिटते दारुण दोष पर, ईश्वर अगर सहाय |
सबसे उत्तम ब्याह हित, दूरी रखो बनाय ||

गोत्र-प्रांत की भिन्नता, नए नए गुण देत |
संयम विद्या बुद्धि बल, साहस रूप समेत ||

Views: 428

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seema agrawal on November 1, 2012 at 1:51pm

सार्थक और सोद्देश्य प्रस्तुति ....बधाई रविकर जी 

Comment by रविकर on October 31, 2012 at 6:07pm

आभार आदरणीय सौरभ जी ,
आदरणीय लडीवाला जी-
आदरेया राजेश दी
सादर ||


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 31, 2012 at 4:57pm

रविकर भाई आपके, देते छंद दलील ।
विषय लिये हैं आप जो, है संवेदनशील ॥
है संवेदनशील, बखूबी तथ्य उचारे ।
लेकिन आज समाज, कहाँ कुछ सत्य सँकारे ?
जो लेते हैं पक्ष, कि, उनमें ’बौड़म’, ’अतिकर’.. .
जहाँ विपक्ष दलील ? वहाँ क्या कहना, रविकर.. .!!

बधाई भाई बधाई.. .

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 31, 2012 at 12:43pm

गुण-सूत्रों की विविधता, बहुत जरूरी चीज |
गोत्रज में कैसे मिलें, रखिये सतत तमीज ||

अच्छी रचना बधाई | इसके साथ ही अब -
 
जब रिश्ता ही कर रहे, रहना एक दूजे के संग 
रक्त ग्रुप अवश्य ही मिले,जीवे भर का है संग 
गौत्राज अर्थ भी यही,एक गोत्र में न हो सम्बन्ध 
एक गोत्र में होत है, जैसे बहिन भाई का सम्बन्ध 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 31, 2012 at 12:23pm

रविकर भाई हम उत्तर  भारतीय इस बात को बखूबी समझते और पालन भी करते है पर दक्षिणी भारतीय को कैसे समझाएं जहां मामा से  ही विवाह जरूरी है पढ़े लिखे लोग भी इसी गतानुगति को लोके वाली कहावत साबित कर रहे हैं फिर क्या कर सकते हैं और मुस्लिम समाज का  तो सबको पता ही है मेडिकल साइंस भी ढोल पीट पीट कर परेशां हो गई है पर कोई समझता ही नहीं ---बहुत शिक्षाप्रद दोहे बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service