For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन में अधिकार मिले कम-

मत्तगयन्द सवैया

नारि सँवार रही घर बार, विभिन्न प्रकार धरा अजमाई ।

कन्यक रूप बुआ भगिनी घरनी ममता बधु सास कहाई ।

सेवत नेह समर्पण से कुल, नित्य नयापन लेकर आई ।

जीवन में अधिकार मिले कम, कर्म सदा भरपूर निभाई ।।

Views: 378

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रविकर on October 17, 2012 at 10:15am

आभार आदरेया रेखा जोशी जी -
आदरेया राजेश दीदी
आदरणीय सौरभ जी
आदरणीय अशोक कुमार जी
बहुत बहुत आभार -

Comment by रविकर on October 17, 2012 at 10:12am

आदरणीय सौरभ जी से ही इस मनोहारी छंद का प्रथम परिचय प्राप्त हुआ था-
कुंडलियों और दोहों के अतिरिक्त अन्य छंद की रचना डरते हुवे ही करता था -

अब आत्मविश्वास बढ़ पाया है |
आभार आदरणीय-

Comment by Rekha Joshi on October 17, 2012 at 10:05am

अति सुंदर छंद पर हार्दिक बधाई रविकर जी 

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 17, 2012 at 9:24am

आदरणीय रविकर जी

               सादर नमस्कार, नारी के मनोभाव को मुखरित करता सुन्दर सवैया. बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 16, 2012 at 8:46pm

रविकर भाई बहुत शानदार छंद रचा है बहुत बहुत बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 16, 2012 at 4:22pm

मान रखा ’कवि नाम’ सखा प्रति पंक्ति हिं नारि-कुमारि जियो है
शब्द चुनें अरु वाक्य सधे, यह मर्म सुकर्महिं साध दियो है.. .
सादर नाम कहूँ, रवि भ्रात, कि छंद विधा सुखदा जु कियो है
खूब सधा परियास हुआ, मनभावन अर्थ बहाव लियो है.. .

सौरभ सर की किरपा मिलती, यह छंद रचा डरता डरता |  ....??

Comment by रविकर on October 16, 2012 at 1:45pm

लक्ष्मण जी सनदीप सखा खुश हो रवि स्वागत है करता |
मैं बस एक बना जरिया शुभ रंग छटा प्रभु ही भरता |
सौरभ सर की किरपा मिलती, यह छंद रचा डरता डरता |
ओपन बुक्स सहायक है, जब काव्य कला नित नीखरता ||

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 16, 2012 at 12:37pm

आदरणीय रविकर सर जी सादर प्रणाम
बहुत बढ़िया साधा है आपने ये प्रयास
जबरदस्त बहुत बहुत बधाई इस उत्तम सोच हेतु

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 16, 2012 at 11:58am

सेवत नेह समर्पण से कुल, नित्य नयापन लेकर आई  - मन भावन पंक्ति बधाई रविकर भाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service