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लघु कथा :- रक्त पिपासु
"अरे राहुल देख तो, किसी ने फेस-बुक पर अपडेट दिया है कि मुंबई में उसे तत्काल ओ नेगेटिव ग्रुप का ब्लड चाहिए। " 
"लेकिन राजू, यह ग्रुप तो जल्दी मिलता ही नहीं" राहुल ने कहा | 
"जरा रुक उसके संपर्क नंबर पर मैं बात करता हूँ।" यह कहते हुए राजू ने अपने मोबाइल से नंबर लगाने लगा |
"हैलो, मैं दिल्ली से राजू बात कर रहा हूँ , आपको ओ नेगेटिव ग्रुप का ब्लड चाहिए ना ?" 
"हां जी, मुझे ओ नेगेटिव ब्लड की सख्त जरुरत है, मेरा बेटा आई सी यूं में भर्ती है और यह ग्रुप मिल नहीं रहा, प्लीज आप मदद कीजिए |"
"जी मेरा ब्लड ग्रुप भी ओ नेगेटिव है और मैं ब्लड दे भी सकता हूँ , किन्तु समस्या ये हैं कि मैं दिल्ली में हूँ और आप मुंबई में।"
"देखिए, आप आज ही प्लेन से आ जाइए और ब्लड देकर कल सुबह की प्लेन से लौट जाइएगा, मैं आने जाने का खर्च दे दूंगा।"
"आ तो जाऊं, पर मैं एक विद्यार्थी हूँ और आने जाने में कमसे कम बारह हज़ार लग जायेंगे, मेरे पास उतना पैसा नहीं है |"
"ऐसा कीजिये आप अपना बैंक खाता नम्बर मैसेज कर दीजिये, पैसा मैं अभी कोर बैंकिंग से भेज देता हूँ पर आप आ जाइए प्लीज |"
"अच्छा ठीक है, मैं अभी आपको एस एम एस करता हूँ।"
राहुल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था, वो राजू से पूछ बैठा:
"अबे तेरा तो ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव है ना, फिर तू झूठ क्यों बोला ?"
"अरे छोड़ ना यार, तू नहीं समझेगा, चल बार में चलते हैं, दारु वारु पीते हैं |"
"पहले तू ये बता कि उस बेचारे को गलत ब्लड ग्रुप क्यों बताया?"
"अरे छोड़ न यार, अपना बैंक खाता नंबर तो सही बताया है न ?"

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Comment

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Comment by वेदिका on March 8, 2013 at 12:46am

आज का यूथ जिसपर हमें नाज़ है भरोसा है, अगर उन्ही ने ये कम करने शुरू कर  दिया जो असम्वेदन से भरे है तो  आगे क्या कहे
हमारे देश के नौनिहाल के सन्दर्भ में मन मष्तिष्क को झकझोरती हुयी अंतर्वेदना!
ऐसी सच्चाई को प्रस्तुत करने के लिए साधुवाद आदरणीय गणेश जी बागी !
सादर वेदिका


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 11, 2013 at 4:24pm

आदरणीय भ्रमर जी, सराहना और प्रोत्साहन हेतु कोटिश: आभार व्यक्त करता हूँ , स्नेह बना रहे |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 11, 2013 at 4:21pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय धर्मेन्द्र भाई जी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 11, 2013 at 4:20pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय दीपक मशाल जी, आपकी सराहना मेरे लिए महत्वपूर्ण है, स्नेह बनाये रखें |

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 12, 2012 at 12:06am

अच्छी लघुकथा है बागी जी, बधाई स्वीकारें।

Comment by Dipak Mashal on December 11, 2012 at 11:44pm

बी पी बढ़ा दिया इस लघुकथा ने। शानदार अंत।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 24, 2012 at 12:16pm

बहुत आभार प्रिय शुभ्रांशु पाण्डेय जी, काल और वातावरण का प्रभाव तो पड़ता ही है |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 24, 2012 at 12:14pm

सराहना हेतु आभार आदरणीय तेजवनी गिरधर जी |

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on November 22, 2012 at 11:36pm

आदरणीय बागी जी बहुत सुन्दर लघु कथा ने बहुत बड़ी बात कह दी भरोसा उठता जा रहा है अपनों पर तो क्या अब खुद से भी सवाल ही सवाल  ....मन खुश हो गया सुन्दर प्रभावी लेख  ...बधाई

भ्रमर 5 
Comment by Shubhranshu Pandey on November 22, 2012 at 9:30pm

विज्ञान के विकास ने कथा के परिवेश को भी बदल दिया है. पहले की कहानियों में ऐसा प्लाट किसी लाचार व्यक्ति को गलत रास्ता बता कर भटकाने की कथा का आधार हुआ करता था.......

बहुत सुन्दर कहानी है .....

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