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मुकरियां (एक प्रयास)

वह अरूप सबके मन भाए
सुध-बुध सबके वह बिसराए
चारू चरण पावन सुखधाम
क्या सखि साजन ? नहीं सखि श्याम
 .
रेशम-रेशम जिसकी बातें
रतनारी जिसकी सौगातें
बड़ा सुहाना एक चितचोर
क्या सखि साजन ? नहीं सखि भोर
.
मायावी वो छैल छबीली
करती बातें बड़ी नशीली
पाद उदर नहीं लोचन गात
क्या सखा सजनी ?  नहीं जी रात
 .
तिनका-तिनका स्‍कैन करे वो
सबको ही बेचैन करे वो
मुस्टंडा है बेहद बकटेट
क्या सखि साजन ?  नहीं सखि जेठ

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Comment

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Comment by Anwesha Anjushree on December 19, 2012 at 7:03pm

तिनका-तिनका स्‍कैन करे वो

सबको ही बेचैन करे वो
मुस्टंडा है बेहद बकटेट
क्या सखि साजन ?  नहीं सखि जेठ
kya baat..behad umda
Comment by राजेश 'मृदु' on December 5, 2012 at 2:13pm

आप सबके प्रोत्‍साहन से मन झूम उठा । यात्राओं के चलते नियमित नहीं रह पाता हूं कृपया क्षमा करें । अभी छंदों पर दी गई जानकारी पढ़ी थोड़ा अभ्‍यास कर प्रस्‍तुत करने का प्रयास करूंगा

Comment by Abhinav Arun on December 4, 2012 at 7:46pm

वाह राजेश जी शब्द चयन की ताजगी आकर्षित करती है ।

रेशम-रेशम जिसकी बातें
रतनारी जिसकी सौगातें
बड़ा सुहाना एक चितचोर
क्या सखि साजन ? नहीं सखि भोर
 

खूबसूरत है रचना हार्दिक बधाई आपको !!

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 2, 2012 at 7:42pm
रेशम-रेशम जिसकी बातें
रतनारी जिसकी सौगातें
बड़ा सुहाना एक चितचोर
क्या सखि साजन ? नहीं सखि भोर,,,,,,,,,,,,,वाह वाह वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या बात है,,,,,,,,,,,,,बधाई
Comment by Ashok Kumar Raktale on November 25, 2012 at 7:55pm

आदरणीय राजेश जी 

                   सादर, बहुत सुन्दर कह मुकरियों के लिए बधाई स्वीकारें.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 24, 2012 at 8:58pm
तिनका-तिनका वो करे स्‍कैन,
सबको ही वो करे बेचैन,
मुस्टंडा है बेहद बकटेट,
क्या सखि साजन ?  नहीं सखि जेठ :-)
बहुत्खुब राजेश कुमार जी, कह मुकरी छंद पर बहुत ही बढ़िया प्रयास, बधाई स्वीकार करें |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 24, 2012 at 6:54pm

तिनका-तिनका स्‍कैन करे वो

सबको ही बेचैन करे वो
मुस्टंडा है बेहद बकटेट
क्या सखि साजन ?  नहीं सखि जेठ-----हाहाहा बहुत मजेदार  ये वाली कह मुकरिया तो ----बकटेट  शब्द पहली बार सुना अर्थ भी बता देते तो अच्छा था ।बहरहाल कह्मुकरिया पर सफल साधा हुआ प्रयास देख कर हर्ष हुआ बहुत बहुत बधाई राजेश कुमार झा जी 
Comment by Yogi Saraswat on November 24, 2012 at 1:00pm
रेशम-रेशम जिसकी बातें
रतनारी जिसकी सौगातें
बड़ा सुहाना एक चितचोर
क्या सखि साजन ? नहीं सखि भोर
.aapke shabd achchhe lage jha saab ! lekin main ye jaanana chahta hoon ki mukariyan koi alag vidha hoti hi sahitya ki ?
Comment by shalini kaushik on November 24, 2012 at 12:48am

very nice presentation


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 23, 2012 at 9:41pm

बिल्कल सधी हुई, सुप्रवाहित और सुमधुर कह्मुकरियाँ कही है राजेश कुमार झा जी. हार्दिक बधाई इस विधा पर इंतना सुन्दर लिखने के लिए.

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