छन्न पकैया छन्न पकैया, सॉरी भैया धोनी।
स्पिन ट्रैक से क्या होता है, टलती थोड़े होनी॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, भाग देख लो फूटे।
अपने सौवें ही दंगल में, वीरू दादा टूटे॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, थोड़ा चले पुजारा।
लदफद होती सेना को जो, देते रहे सहारा॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, क्या करते हो सच्चू।
अपने ही घर में अपनी क्या, पिटवाओगे बच्चू॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, अन्ना दीखे भज्जी।
कुक पूरे सरकारी बन के, उड़ा रहे थे धज्जी॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, दिखी नहीं तैयारी।
थोड़ा सा गंभीर दिखा जो, खेला दूजी पारी॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, पड़े मैच में कोड़े।
कोई भी युवराज नहीं था, रोक सके जो थोड़े॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, लगा बड़ा वो बोझा।
भूतों की टोली से हारा, जो बनता था ओझा॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, गोली बन गई खोखा।
अश्विन की तो बात न करना, दिया सभी ने धोखा॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, समय बुरा था बीता।
तीर खान के सब नहीं चले, मैच फिरंगी जीता॥
छन्न पकैया छन्न पकैया, मुक्त कंठ से गाओ।
नहीं समझ में आये कुछ तो, भाई छन्न पकाओ॥
Comment
आदरणीय गौरव जी
सादर, छन्न पकैया छंद में क्रिकेट में दुर्गति को खूब उभारा है. वाह!!! बधाई स्वीकारें.
आदरणीय गुरुदेव .......शिल्प के आधार पर भी रचना सही है ये जान कर मेहनत सार्थक लग रही है ........एक बार पुनः आपका हार्दिक आभार ......
आदरणीया प्राची दीदी ......रचना आपको पसंद आई .......जान के बहुत अच्छा लगा ......आपका हार्दिक आभार .......
आदरणीय लक्ष्मण सर ........रचना को पसंद करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद ........
शिल्प के लिहाज से सार छंद में 16-12 की यति पर पद के दोनों चरण होते हैं. यदि चरणों का समापन गुरु गुरु (ऽऽ) या लघु लघु गुरु (।। ऽ) से हो तो गेयता उत्कृष्ट रहती है. विशेषकर सम चरण में इसे निभाना रुचिकर है
उपरोक्त आधार पर आप देखिये क्या ही सुन्दर प्रस्तुति है. दूसरे, छंदों में इस तरह के कथ्य आज के युवा पाठकों को भी लुभाते हैं. दूसरे, जबतक विषय की मांग या पूरे कथ्य का आग्रह न हो खड़ी हिन्दी का प्रयोग छंदों को आजके संदर्भ से जोड़े रहता है. हाँ, सवैया जैसे छंदों में आजकी खड़ी या शुद्ध हिन्दी का एकांगी प्रयोग कष्टसाध्य है. उन छंदों की भाषा में देसज और आंचलिक शब्दों का प्रयोग अनिवार्य जैसा प्रतीत होता है. वैसे आपको मैंने हिन्दी के खड़े रूप में सवैया कहते पढ़ा है.
शुभेच्छाएँ
प्रिय कुमार गौरव जी, बहुत खूब छंद पकैया... एक एक खिलाड़ी को धो धो के पकाया है छन्न, हा हा. बहुत मज़ा आया पढ़ कर. हार्दिक बधाई .
सराहना के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया राजेश जी .....
आपका हार्दिक आभार आदरणीय गुरुदेव .....रचना शिल्प के आधार पर भी तो सही है न? ......अन्य विद्वजनों की लिखी छन्न पकैया पढ़के जितना शिल्प के बारे में मैं समझ सका उतना लिखा है ......बाकी आप मार्गदर्शन करें .....
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