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आज नहीं स्‍पंदन तन में
क्षुधा-उदर भी रीते है

स्निग्‍ध शुभ्र वह प्रभा विमल
मुझको खूब सुभीते हैं

देह झरी अवसाद झरे
व्‍यथा-कथा के स्‍वाद झरे
किरण-किरण से घुली मिली

सकल नुकीले नाद झरे

नया जगत आभास नया
लहर-लहर उल्‍लास नया
मदिर मधुर है मुक्‍त पवन
आज गगन में रास नया

वसनहीन अब हूं बहुरंगा
श्‍याम रंग अद्भुत रंग रंगा
साथ खड़ी जगदंब भवानी
कटी-मिटी माया की छानी

बोर बाण पूर्णांग चपाचप
महामोह मधुराग छपाछप
तामझाम संग जो हहराए
वह अनंग भी कहां लुभाए

कोई अगुण के रूप उचारे
सगुण प्रभा कोई मन धारे
प्रेम पंथ कैवल्‍य किसी का
भक्‍त भाव सिरमौर किसी

आज कोई अवरोध नहीं है
नए ओज से जीते हैं
हां अनंत के शुभ्र पंथ
सच ही सहज सुभीते हैं

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 7, 2012 at 3:11pm

कल्पना में इस लोक के उस पार उस लोक को जीकर शब्दबद्ध करना सच में एक अनूठा प्रयोग है बहुत अच्छी प्रवाह मय  रचना बन पड़ी है बहुत बहुत बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 7, 2012 at 12:37pm

रचना में है कुछ नया, मन में अच्छा भाव भरे 

फिर क्यों न कवि का धन्यवाद करे 
झा बधाई आप स्वीकारे करे  

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 7, 2012 at 9:35am

आ. राजेश कुमार झा जी,

मृत्यु को समझ पाना इतना सहज नहीं, और उसके बाद मनोमाय कोष किन अनुभूतियों को किस तीव्रता से अनुभव करता है, यह जानना भी वस्तुतः सहज नहीं..

फिर भी जिस वैचारिकता को लेकर आपने यह रचना लिखी, उसके लिए आपको हार्दिक बधाई.

नवगीत के शिल्प को समझ कर यदि इस अभिव्यक्ति को नवगीत का रूप दिया तो यह बहुत सुन्दर हो जाएगा. शुभेच्छा.

Comment by वीनस केसरी on December 7, 2012 at 3:11am

वाह
अद्भुत रचना है
प्रवाह में बहता चला गया
हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by MAHIMA SHREE on December 6, 2012 at 3:55pm

आज कोई अवरोध नहीं है
नए ओज से जीते हैं
हां अनंत के शुभ्र पंथ
सच ही सहज सुभीते हैं

वाकई में मृत्यु   हरेक तरह के सांसारिक ( दैहिक, भौतिक) आचार विचार से मुक्त कर देती है /

बहुत -2 बधाई आपको खुबसूरत अभिवयक्ति के लिए /


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 6, 2012 at 2:33pm

गहन वैचारिकता को शब्दबद्ध करने का यह एक बेहतर प्रयास हुआ है.

रचना को पोस्ट करने के पूर्व इसके प्रारूप से संतुष्ट हो लिया करें, राजेशजी.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2012 at 11:46am

उम्दा ख्याल गहन अभियक्ति बेहतरीन प्रस्तुति

कृपया ध्यान दे...

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