For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज नहीं स्‍पंदन तन में
क्षुधा-उदर भी रीते है

स्निग्‍ध शुभ्र वह प्रभा विमल
मुझको खूब सुभीते हैं

देह झरी अवसाद झरे
व्‍यथा-कथा के स्‍वाद झरे
किरण-किरण से घुली मिली

सकल नुकीले नाद झरे

नया जगत आभास नया
लहर-लहर उल्‍लास नया
मदिर मधुर है मुक्‍त पवन
आज गगन में रास नया

वसनहीन अब हूं बहुरंगा
श्‍याम रंग अद्भुत रंग रंगा
साथ खड़ी जगदंब भवानी
कटी-मिटी माया की छानी

बोर बाण पूर्णांग चपाचप
महामोह मधुराग छपाछप
तामझाम संग जो हहराए
वह अनंग भी कहां लुभाए

कोई अगुण के रूप उचारे
सगुण प्रभा कोई मन धारे
प्रेम पंथ कैवल्‍य किसी का
भक्‍त भाव सिरमौर किसी

आज कोई अवरोध नहीं है
नए ओज से जीते हैं
हां अनंत के शुभ्र पंथ
सच ही सहज सुभीते हैं

Views: 487

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 7, 2012 at 3:11pm

कल्पना में इस लोक के उस पार उस लोक को जीकर शब्दबद्ध करना सच में एक अनूठा प्रयोग है बहुत अच्छी प्रवाह मय  रचना बन पड़ी है बहुत बहुत बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 7, 2012 at 12:37pm

रचना में है कुछ नया, मन में अच्छा भाव भरे 

फिर क्यों न कवि का धन्यवाद करे 
झा बधाई आप स्वीकारे करे  

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 7, 2012 at 9:35am

आ. राजेश कुमार झा जी,

मृत्यु को समझ पाना इतना सहज नहीं, और उसके बाद मनोमाय कोष किन अनुभूतियों को किस तीव्रता से अनुभव करता है, यह जानना भी वस्तुतः सहज नहीं..

फिर भी जिस वैचारिकता को लेकर आपने यह रचना लिखी, उसके लिए आपको हार्दिक बधाई.

नवगीत के शिल्प को समझ कर यदि इस अभिव्यक्ति को नवगीत का रूप दिया तो यह बहुत सुन्दर हो जाएगा. शुभेच्छा.

Comment by वीनस केसरी on December 7, 2012 at 3:11am

वाह
अद्भुत रचना है
प्रवाह में बहता चला गया
हार्दिक बधाई स्वीकारें

Comment by MAHIMA SHREE on December 6, 2012 at 3:55pm

आज कोई अवरोध नहीं है
नए ओज से जीते हैं
हां अनंत के शुभ्र पंथ
सच ही सहज सुभीते हैं

वाकई में मृत्यु   हरेक तरह के सांसारिक ( दैहिक, भौतिक) आचार विचार से मुक्त कर देती है /

बहुत -2 बधाई आपको खुबसूरत अभिवयक्ति के लिए /


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 6, 2012 at 2:33pm

गहन वैचारिकता को शब्दबद्ध करने का यह एक बेहतर प्रयास हुआ है.

रचना को पोस्ट करने के पूर्व इसके प्रारूप से संतुष्ट हो लिया करें, राजेशजी.

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 6, 2012 at 11:46am

उम्दा ख्याल गहन अभियक्ति बेहतरीन प्रस्तुति

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service