For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-तेरा लोटा तेरा चश्मा

ग़ज़ल

कहूँ कैसे कि मेरे शहर में अखबार बिकता है
डकैती लूट हत्या और बलात्कार बिकता है |

तेरे आदर्श तेरे मूल्य सारे बिक गए बापू
तेरा लोटा तेरा चश्मा तेरा घर-बार बिकता है |

बड़े अफसर का सौदा हाँ भले लाखों में होता हो
सिपाही दस में और सौ में तो थानेदार बिकता है |

वही मुंबई जहाँ टाटा अम्बानी जैसे बसते हैं
वहीं पर जिस्म कईओं का सरे बाज़ार बिकता है |

चुने जाते ही नेता सारे वादे भूल जाते हैं
यह वोटर किस छलावे में भला हर बार बिकता है |

ये कलियुग है ठगी की इन्तेहाँ होती नहीं कोई
सुना है नेट पर दिल्ली का क़ुतुब मीनार बिकता है |

करप्शन इस कदर हावी शहर के अस्पतालों में
दवा के वास्ते हर रोज़ ही बीमार बिकता है |

(लेखकीय :- पूज्य बापू को प्रणाम करते हुए ! ऐसी गज़लें लिखते हुए लिखने के सुख और संतोष से ज्यादा व्यवस्था के प्रति गहन दुःख होता है |)

Views: 885

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on November 29, 2010 at 4:03pm
shradhdha jee and shesh jee thanks for liking my ghazal .
Comment by Shanno Aggarwal on November 17, 2010 at 6:22pm
वाह ! श्रद्धा..वाह ! सलाम तुम्हें और तुम्हारी लेखनी को.
Comment by Shrddha on November 17, 2010 at 5:49pm
aaj kal ke halaat par aapka karara vayang padhkar achcha laga
Comment by Abhinav Arun on November 9, 2010 at 2:04pm
नूरैन अंसारी जी आपके अलफ़ाज़ मुझे सुकून दे रहे हैं तारीफ का शुक्रिया !!!
Comment by Noorain Ansari on November 8, 2010 at 4:36pm
बहूत सुंदर ग़ज़ल अभिनव जी..शब्दों का सुंदर संयोजन..पढ़ के रूह को सुकून मिला..
Comment by Abhinav Arun on November 8, 2010 at 2:12pm
jogeshwar jee bahut bahut dhanyavaad !!आपने रचना पढी और प्रतिक्रिया दी आभार !
Comment by jogeshwar garg on November 6, 2010 at 5:57pm
"अभिनवजी"
इतनी सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें !
Comment by Abhinav Arun on November 2, 2010 at 2:23pm
श्री शेष जी आप ने गज़ल पढ़ी पसंद की यही उत्साह बढ़ाने के लिए बहुत बड़ी बात है |आभार !!
Comment by Abhinav Arun on November 1, 2010 at 1:26pm
योगराज जी आपके हौसला देने वाले शब्दों के लिए शुक्रगुज़ार हूँ |कुछ सार्थक लिखने की कोशिश जारी रखूंगा |ओ.बी.ओ. आपके नेतृत्व में खूब फले फूले यही कामना है|

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 1, 2010 at 11:14am
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल कही है अरुण भाई आपने, ग़ज़ल का मतला इसका हुस्न-ए-ग़ज़ल शेअर है ! मुबारकबाद कबूल कीजिये !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
58 minutes ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Sunday
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Jul 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Jul 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service