For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिसको भीड़ सुलभ है जितनी , उतनी ही ज्यादा तन्हाई ,,,,,,,,,,,,,

खुशियों ने ऊँचे दामों की , फिर पक्की दूकान लगायी 

इक तो गाँव अभावों का मैं , और उपर से ये मंहगाई 
 
कुछ टुकड़ों पर ही पंछी ने , सोने का पिंजड़ा स्वीकारा 
क़ैद हुआ जब संगमरमर में , भूल गया सारी अंगड़ाई 
 
एक नहीं जाने कितने ही , सिन्धु रचे मैंने पन्नों पर 
लेकिन जब जब प्यास लगी , बूँद बूँद से ठोकर खायी 
 
सागर जितना गहरा देखा , तट सब उतने ही ज्यादा प्यासे 
जिसको भीड़ सुलभ  है जितनी , उतनी ही ज्यादा तन्हाई 
 
पीड़ा की धरती के हिस्से घाटे के अनुबंध लिखे हैं 
जब जब मेहँदी धुली हाँथ से , गहरी हुयी ज़ख्म की खाई 

Views: 355

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on December 18, 2012 at 11:04am

खुशियों ने ऊँचे दामों की , फिर पक्की दूकान लगायी 

इक तो गाँव अभावों का मैं , और उपर से ये मंहगाई .......वाह! क्या भाव जड़े है.
 बहुत बढ़िया रचना बधाई स्वीकारें आदरणीय अजय शर्मा जी.
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 12, 2012 at 4:42am

एक नहीं जाने कितने ही , सिन्धु रचे मैंने पन्नों पर 

लेकिन जब जब प्यास लगी , बूँद बूँद से ठोकर खायी 
आदरणीय अजय शर्मा जी, सादर अभिवादन!
बहुत ही सुन्दर भाव उत्पन्न करनेवाली पंक्तियाँ ! बधाई!
Comment by MAHIMA SHREE on December 11, 2012 at 10:54pm
एक नहीं जाने कितने ही , सिन्धु रचे मैंने पन्नों पर 
लेकिन जब जब प्यास लगी , बूँद बूँद से ठोकर खायी .....

नमस्कार

बहुत ही सुंदर अभिवयक्ति ... बहुत-2 बधाई आपको

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 11, 2012 at 5:57pm

बहुत सुन्दर क्या बात है आदरणीय
बधाई आपको

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on December 11, 2012 at 1:25pm

खुशियों ने ऊँचे दामों की , फिर पक्की दूकान लगायी

बहुत खूब. 

बधाई.

Comment by वीनस केसरी on December 11, 2012 at 12:34am

शानदार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service