छन्न पकैया छन्न पकैया ,पढ़ते दांत पहाडा।
खड़ा हुआ है सर के ऊपर , डंडा लेकर जाड़ा।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,पार तभी हो नाव।
सर्द हवा के बीच रात में, जलता रहे अलाव।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,ठिठुर रहें फुटपाथ।
काली कुतिया साथ ठिठुरती,सोती है जो साथ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,नहीं गल रही दाल।
शीत युद्ध के चलते पहनो,स्वेटर मफलर शाल।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,सड़कें हैं सुनसान।
ऊपर वाले का कर्फ्यू है ,लो अच्छे से जान।।
छन्न पकैया छन्न पकैया,कहता है अविनाश।
कोहरा इतना गहरा है कि ,दिखे नहीं आकाश।
Comment
chann pakiya chann pakiya so jao pi ke madira chat jayegi kohra dhundh chat jayenge badra .chan pakaiya sunder rachana badhai Avinash ji
छन्न पकैया छन्न पकैया,ठिठुर रहें फुटपाथ।
काली कुतिया साथ ठिठुरती,सोती है जो साथ।।----सभी छन्न पकैया सर्दी में खूब पक रहे हैं ---इस छन्न पकैया में सोती उनके साथ करें तो बेहतर भाव बनेगा वरना सोचनेवाले कुछ और भी सोच सकते हैं :):)
बहुत ही उम्दा छन्न पकैया लिखे हैं आदरणीय अविनाश सर, हार्दिक बधाई स्वीकार करें
भाई अविनाश जी , जाड़े पर बेहतरीन दृश्य खिंच कर छन्न पकैया लिखे है, मजा आ गया, वाह !!!!!!!!!
छन्न पकैया ,छन्न पकैया , वाह वाह अविनाश
अंगीठी के निकट बैठ कर,आओ खेलें ताश ।।
mast ho gaye ham to padhkar.....har pankti gahre arth ke saath badahi
’छन्न पकैया’ के राग पर आपने ठंढ का अच्छा गीत गाया है, अविनाश भाईजी.
हार्दिक शुभकामनाएँ
आदरणीय सर जाड़े का सम्पूर्ण विवरण समाहित है, सुन्दर प्रस्तुति बधाई स्वीकारें
:)
बहुत सुन्दर छन्न पकैया पकाई है सर जी
सादर प्रणाम सहित ढेरों बधाई
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