For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

टूटता ये दिल रहा है जिंदगी भर,
दर्द भी हासिल रहा है जिंदगी भर,

अधमरा हर बार जिन्दा छोड़ देना,
मारता तिल-2 रहा है जिंदगी भर,

देखकर मुझको निगाहें फेर लेना,
दौर ये मुश्किल रहा है जिंदगी भर,

बेवजह मुझको मिली बदनामियाँ हैं,
जबकि वो कातिल रहा है जिंदगी भर,

नींद से मैं जाग जाता हूँ अचानक,
खौफ यूँ शामिल रहा है जिंदगी भर,

चाह है मैं चाहता उसको रहूँ बस,
इक यही आदिल रहा है जिंदगी भर।

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 16, 2012 at 2:09pm

तहे दिल से शुक्रिया आदरणीया सुमन जी.

Comment by SUMAN MISHRA on December 16, 2012 at 1:51pm

देखकर मुझको निगाहें फेर लेना
दौर ये रहा मुश्किल जिंदगी भर,,,,,बहुत ही मर्म से पूर्ण रचना अरुण जी 

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 16, 2012 at 1:24pm

शुक्रिया आदरणीय अविनाश सर

Comment by AVINASH S BAGDE on December 15, 2012 at 8:56pm

बेवजह मुझको मिली बदनामियाँ हैं,
जबकि वो कातिल रहा है जिंदगी भर,nice

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 15, 2012 at 4:25pm

संदीप भाई आप कभी भी निःसंकोच कह सकते है आपका विचार वाकई काबिले तारीफ है आभार मित्र सहयोग व स्नेह हेतु.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 15, 2012 at 4:04pm

बहुत खूब साधा है आपने अनंत भाई जी
खूब दाद क़ुबूल करें 

इस शेर को ऐसे कहते तो शायद और खूबसूरत बन पड़ता 

टूटता ये दिल रहा है जिंदगी भर,
दर्द ही हासिल रहा है जिंदगी भर,

ये केवल मेरे विचार हैं ...............

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 15, 2012 at 3:50pm

आदरणीय गणेश सर आपका जवाब नहीं आपने तो पूरी ग़ज़ल का रूप ही निखार दिया, बिलकुल सही रहेगा सर अनेक-2 धन्यवाद

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 15, 2012 at 3:49pm

आभार आदरणीय लक्ष्मन सर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 15, 2012 at 3:26pm

//अधमरा हर बार जिन्दा छोड़ देना,
मारता तिल-2 रहा है जिंदगी भर,// अधमरा और जिन्दा , दोनों शब्दों का प्रयोग कुछ अच्छा नहीं लग रहा, यदि ऐसे करे तो ...

अधमरा हर बार करके छोड़ देना,
मारता तिल-2 रहा है जिंदगी भर,

//चाह है मैं चाहता उसको रहूँ बस,
इक यही आदिल रहा है जिंदगी भर।//

मिसरा उला देखे, चाह है मैं चाहता ....कुछ अटपटा सा लग रहा, यदि ऐसे कहे तो

आरजू है चाहता उसको रहूँ मैं

बाकी सभी शेर मस्त मस्त , बधाई स्वीकार करें |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 15, 2012 at 3:07pm

सुन्दर गजल के लिए बधाई अरुण शर्मा अनंत जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
6 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service