==========ग़ज़ल==========
बहरे मुजारे मुसम्मन् अखरब मक्फूफ महजूफ
वजन ==221 /2121/ 1221 /212
हमसे मिला निगाह महज मुस्कुरा दिए
आँखों में कुछ हसीन से सपने सजा दिए
करते हो हमसे इश्क या हमदर्द हो मेरे
पूछा कभी तो शर्म से पलकें झुका दिए
वादा किया था साथ निभाने का उम्र भर
रुखसत के वक़्त आ के वो वादा निभा दिए
नज़राना क्या दें आपको ठहरे गरीब हम
चाहत निभाने अश्क के मोती लुटा दिए
तोड़े सभी रिवाज सभी रश्म तोड़ दी
सारे उसूल इश्क की खातिर मिटा दिए
फुरकत के वक़्त आपसे आईं यूँ गर्दिशें
मिटती नहीं वो दीप तो कितने जला दिए
संदीप पटेल "दीप"
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
जनाब संदीप जी ,,,ग़ज़ल के लिए बधाई ,,, कोशिशें हमेशा कामयाब होती हैं ,,, मशक करें ,, इस्लाह लें | आदरणीय सौरभ जी ने जो कमेंट्स दिए हैं उस पर अमल करें | यह शेर अच्छे बन पड़ें हैं ,,,,,१ नजराना क्या दें ,,,,२,तोड़े सभी रिवाज ,, पुन: बधाई ,,,,,
खूबसूरत ग़ज़ल......
बहुत सुन्दर ग़ज़ल .........
बहुत बहुत शुक्रिया आपका अनंत भाई सादर आभार
मित्रवर छा गए आप, लाजवाब ग़ज़ल कही है वाह वाही के हकदार हैं आप दिली दाद हार्दिक बधाई.
आदरणीय गुरदेव सौरभ सर जी सादर चरण स्पर्श
सर्वप्रथम तो आपका बहुत बहुत आभार जो आपने शिष्य ग़ज़ल पर अपनी दृष्टि डाली और हौसलाफजाई की
तत
गुरुदेव कहीं न कहीं कुछ त्रुटियाँ जल्दबाजी की वजह से हो ही जाती हैं
ग़ज़ल कहने के लिए
पहले एक शेर कहो
फिर उस शेर के वजन को बहर की कसौटी पर कसो
फिर वजन के आधार पर जिहाफों का नामकरण
थोड़ा कठिन है
मैंने नाम सही लिखा लेकिन अंत में सब गुड गोबर हो गया
गुरुदेव अब मैं जिहाफों को भी याद करूंगा ताकि आगे ऐसी गलती नहीं हो
अपना आशीर्वाद और स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीय गुरदेव सौरभ सर जी , आदरणीया डॉ प्राची जी , आदरणीया राजेश कुमारी जी , आदरणीय आशीष भाई जी सादर प्रणाम
बहुत सुन्दर ग़ज़ल प्रिय संदीप जी, हर एक शेर दिल को छू रहा है,
और ये वाला शेर
करते हो हमसे इश्क या हमदर्द हो मेरे
पूछा कभी तो शर्म से पलकें झुका दिए ...
तो बस वाह वाह ,
हार्दिक बधाई क़ुबूल करें
फिर से एक सुन्दर ग़ज़ल के लिए दाद कबूल करें
करते हो हमसे इश्क या हमदर्द हो मेरे
पूछा कभी तो शर्म से पलकें झुका दिए ......... वाह भाई वाह ! क्या अंदाज़ है !
फुरकत के वक़्त आपसे आईं यूँ गर्दिशें
मिटती नहीं वो दीप तो कितने जला दिए.. .. मक्ता में तखल्लुस का सुन्दर प्रयोग हुआ है..
दाद कुबूल करें.
और बह्र के वज़्न को कैसे लिखा है ?
यह 221 2121 1221 212 की तरह होगा.
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