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रचना को पसंद कर अनुमोदित के लिए आभार आदरणीया मीना पाठक जी
आदरणीय सौरभ जी, सादर प्रणाम !
त्रिभंगी छंद पर रचना लिखना सच में मुश्किल है, चार दिन से कोशिश में थी, बार बार लिख रही थी काट रही थी, शिल्प भाव कथ्य सब एक साथ त्रिभंगी छंद में सिमट ही नहीं रहे थे, आखिरकार इस रचना के कथ्य व भाव संतृप्ति पर आपका अनुमोदन मिलना बहुत संतुष्टि प्रदान कर रहा है, जिस हेतु आपकी ह्रदय से आभारी हूँ. सादर.
क्या वाष्प की जगह प्रखर शब्द प्रयुक्त करना उचित होगा..? राय दें ! सादर.
छंद का बहुत ही अच्छा प्रयास हुआ है, डॉ.प्राची. बहुत-बहुत बधाई. कथ्य की दृष्टि से भी रचना गहरी है. आपका हार्दिक धन्यवाद कि आपने इतनी सुन्दर रचना से भाव-तृप्त किया.
वाष्प पंख को देख लें, आदरणीया. उच्चारण-भंग का दोष बन रहा है.
आपने अपने निर्मल निर्झर मन की स्वच्छंद सुखद अनुभूतियों को बहुत मधुर स्वर में अभिव्यक्त किया है, डॉ प्राची बहनजी। मन को छूती इस मधुर स्वर अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई
मन बनकर रसधर, वाष्प पंख धर, विस्तृत अम्बर, चूमे रे..वाह वाह वाह इस पंक्ति हेतु प्रिय प्राची मन झूम उठा बहुत बहुत बधाई इस छंद पर
बहुत सुन्दर .. बधाई
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