For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पति परमेश्वर[लघु कथा ]

''सोनू आज तुमने फिर आने में  देर कर दी ,देखो सारे बर्तन जूठे पड़ें है ,सारा घर फैला पड़ा है ,कितना काम है ।''मीना ने सोनू के घर के अंदर दाखिल होते ही बोलना शुरू कर दिया ,लेकिन  सोनू चुपचाप आँखे झुकाए किचेन में जा कर बर्तन मांजने लगी ,तभी मीना ने उसके मुख की ओर ध्यान से देखा ,उसका पूरा मुहं सूज रहा था ,उसकी बाहों और गर्दन पर भी लाल नीले  निशान साफ़ दिखाई दे रहे थे । ''आज फिर अपने आदमी से पिट कर आई है ''?उन निशानों को देखते हुए मीना ने पूछा ,परन्तु सोनू ने कोई उत्तर नही दिया ,नजरें झुकाए अपना काम करती रही बस उसकी आँखों से दो मोटे मोटे आंसू टपक पड़े । मीना ने इस पर उसे लम्बा चौड़ा भाषण और सुना दिया कि उन जैसी औरतों को अपने अधिकार के लिए लड़ना नही आता ,आये दिन पिटती रहती है ,घरेलू हिंसा के तहत उसके घरवाले को जेल हो सकती है और न जानेक्या क्या  बुदबुदाती रही मीनू । उसी रात देव मीनू के पति रात देर से घर पहुंचे ,किसी पार्टी से आये थे वह ,एक दो पैग भी चढ़ा रखे थे ,मीनू ने दरवाज़ा खोलते ही बस इतना पूछ लिया ,''आज देर से कैसे आये ,?''बस देव का गुस्सा सातवें  आसमान पर पहुंच गया ,आव देखा न ताव कस कर  दो थप्पड़ मीना के गाल पर जड़ दिए । सुबह जब सोनू ने अपनी मालकिन का सूजा  हुआ चेहरा देखा तो वह अवाक उसे देखती रह गई । 

Views: 820

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pawan amba on March 3, 2013 at 2:05pm

 हार्दिक बधाई आदरणीया रेखा जोशी जी 

Comment by Rekha Joshi on March 2, 2013 at 8:26pm

आ डा प्राची जी ,आपने औरत की बेबसी को समझा और महसूस किया ,न जाने कितनी  औरते ऐसी बेबसी में जी रही है और हम भी यह सब जानते हुए भी बेबस है ,आपका हार्दिक आभार .

Comment by Rekha Joshi on March 2, 2013 at 8:20pm

अजय जी ,आपको कथा पसंद आई लेकिन यह केवल कहानी  नही हकीकत है ,आपने इसके मर्म को महसूस किया ,आभार ..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 2, 2013 at 5:58pm

उफ़ ये समाज की घिनौनी सच्चाई...

बंद घरों में रोज तार तार होता औरत का सम्मान,

क्या निम्न वर्ग, मध्यम वर्ग और क्या ही उच्च वर्ग....  पुरुष का पुरुष होने का ही झूठा अहंकार 

और औरत की बेबस कहानी..

इस मर्मस्पर्शी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया रेखा जोशी जी 

Comment by Rekha Joshi on March 2, 2013 at 4:28pm

आदरणीय  सौरभ जी इस कथा के माध्यम से समाज में बढ़ रही घरेलू हिंसा को उजागर करना है ,आप के कमेंट्स मेरे लिए बहुत महत्व रखते है ,आभार .

Comment by Rekha Joshi on March 2, 2013 at 4:24pm

आ किशन जी , आ प्रदीप जी ,आ अभिनव जी ,आपका हार्दिक आभार ,हमारे भारत देश  में अपने पति की लम्बी आयु की कामना करना ,व्रत रखना ,उसकी आरती उतारना यह सब उसे देवतुल्य बना देता है लेकिन अधीकांश पत्नी को समाज में दूसरा दर्जा मिलता है और दुर्भाग्यवश कई बार वह घरेलू हिंसा का शिकार भी होती है ,आपने इस समस्या के मर्म को समझा ,धन्यवाद .

Comment by Dr.Ajay Khare on March 2, 2013 at 3:41pm

rekha mam aapki laghu katha dil ko choo lene bali hai badhi


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 2, 2013 at 3:23pm

जित देखा .. एके लेखा..

इस लघुकथा की अंतर्धारा गहन घुर्णन लिए हुए है. बधाई, आदरणीया रेखाजी.. .

Comment by Abhinav Arun on March 2, 2013 at 1:58pm

प्रभावित करने वाली सशक्त लघुकथा हार्दिक बधाई आपको respected Rekha Joshi ji !!

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 2, 2013 at 1:15pm

पति कब तक परमेश्वर रहेगा 

बधाई कथा हेतु 

आदरणीया रेखा जी सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service