मूँगफली खा चच्चा बोले
बहू आज कुछ चने भिगोले
कल को रोटी संग बनाना
जरा चटपटे आलू-छोले l
सारा दिन तू काम में पिस्से
सुने पड़ोसी के भी किस्से
सखियों से गपशप करती है
कर देंगी वो घर के हिस्से l
मारा बहु ने घर में पोंछा
मुँह सिकोड़ बातों पर सोचा
खुद तो इत-उत गप्प लड़ाते
फिर क्यों मेरा ही मुँह कोंचा l
-शन्नो अग्रवाल
Comment
आदरणीया शन्नो जी:
रोचक रचना के लिए बधाई।
विजय निकोर
सारा दिन तू काम में पिस्से
सुने पड़ोसी के भी किस्से
सखियों से गपशप करती है
कर देंगी वो घर के हिस्से l
चाचा सही कहते हैं
बधाई
सादर आदरणीया
bahut badhiya rachna badhai
हम्म... ससुरजी और बहु के मध्य हुआ संवाद रोचक ढंग से प्रस्तुत हुआ है. यानि इतने दिनों आप ऐसे-ऐसे मनोरंजक संवादों का ही मजा ले रही थीं !
अब मैं समझा आपके गुम होने का मतलब-
घर ही में तो आपके माहौल तारी था .... हा हा हा हा.... :-)))))))))
स्वागत है आदरणीया शन्नोजी.. . आपके आने से रौनक आ गयी, रंग आगया .. .
आदरणीया शन्नो अग्रवाल सुन्दर भाव रचना के लिए हार्दिक बधाई!!!!!!!!!!
यथार्थ कथ्य पर सुन्दर भाव रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया शन्नो अग्रवाल जी, प्रथम पंक्तियों में मनोरंजन, मध्य में व्यंग ओउर अंत में परिणामतः निष्कर्षात्मक सोच, अच्छी रचना बन पड़ी है
कल को रोटी संग बनाना
जरा चटपटे आलू-छोले l.............सचमुच हमारे भी मुँह में पानी आ गया...
सखियों से गपशप करती है
कर देंगी वो घर के हिस्से l..................चच्चा की उम्र का सबसे जायज डर है...हाहाहा ( वैसे सचमुच आज कल किटी वगैरह में दो विवाहित सहेलियों के बीच ऐसी ही बाते होती हैं)
ससुर और बहू की वार्ता को और उनके मनोभावों को बहुत ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है आदरणीया शन्नो जी
आपकी रचनाओं की खासियत है उनकी जीवन्तता.
सादर बधाई
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