For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घण्टियों की

खनखनाती खिलखिलाहट  

से गूँज उठी

हर पूजास्थली..

मन्नत की

लाल चूनर और रंगीन धागों के

ग्रंथिबंधन में आबद्ध हुए सारे स्तम्भ

और बरगद पीपल की हर शाख..

माँ के दर फैलाये झोली,

जोड़े कर, झुकाए सर,

नवदम्पत्ति मांग रहे हैं भिक्षा-

पुत्र रत्न की...

और हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं !!!

****************************************

उड़ान भरने को व्याकुल

पर फड़फड़ाते घायल परिंदे सा बेबस

सहमा सिसका

संघर्षरत

अपने वजूद को तलाशता

शोषण दोषण मोषण से आक्रान्त

कुकृत्यों के कुहासों में

नित दफ़न होता

नारी अस्तित्व.....

क्या आज फिर महिला दिवस है ?

Views: 908

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 8, 2013 at 11:52pm

रचना पर आपके अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार आदरणीया विनीता शुक्ला जी.. 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 8, 2013 at 11:50pm

रचना के मर्म को छूने के लिए हार्दिक आभार प्रिय संदीप जी 

Comment by Vinita Shukla on March 8, 2013 at 9:08pm

नारी- जीवन की विडम्बना का मार्मिक और प्रभावी चित्रण. बधाई डॉ. प्राची जी.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on March 8, 2013 at 4:52pm

ऐसे दिवस मनाये क्यूँ जाते हैं ये तो आचरण में लाने की चीज़ है

बहुत अच्छी रचना सुन्दर भाव से भरी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 8, 2013 at 3:30pm

रचना पर आपकी सराहना और अनुमोदन के लिए आभार प्रिय राम शिरोमणि पाठक जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 8, 2013 at 3:28pm

सादर आभार आ. विजय जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 8, 2013 at 3:28pm

आदरणीय राजेश झा जी, 

महिला दिवस का इतिहास १५० वर्ष से भी ज्यादा पुराना है... पर महिलाओं की स्थिति पूरे विश्व में आज भी बहुत बहुत दयनीय ही है..

कोइ एक भी राष्ट्र ऐसा नहीं जहां महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार दिए जाते हों...

और कितना वक़्त चाहिए इस एक दिवस को विश्व में महिलाओं के लिए व्यापक बदलाव लाने हेतु. 

बस एक दिन की जागृति, आन्दोलन, रैली, चर्चा से क्या नज़रिया बदल जाएगा..... यदि बदल सकता तो मेरे द्वारा लिखी गयी क्षणिकाएं सत्य न होतीं.

मैंने नकारात्मकता को नहीं, अपितु यथार्थ को शब्द रूप में प्रस्तुत करने की चेष्टा की है. 

फिर भी आपकी बधाई इस रचना पर प्राप्त हुई, जिस हेतु आपकी हृदय से आभारी हूँ.

Comment by ram shiromani pathak on March 8, 2013 at 3:18pm

उड़ान भरने को व्याकुल

पर फड़फड़ाते घायल परिंदे सा बेबस

सहमा सिसका

संघर्षरत

अपने वजूद को तलाशता

शोषण दोषण मोषण से आक्रान्त

कुकृत्यों के कुहासों में

नित दफ़न होता

नारी अस्तित्व.............कैसा महिला दिवस ?

 समाज की मानसिकता को सही पहचाना आपने आदरणीया प्राची मैम..............भाव पूर्ण रचना...हार्दिक बधाई!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 8, 2013 at 3:13pm

Thanks Dr. Ajay Khare  for you wishes on this expression of thoughts.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 8, 2013 at 3:11pm

आदरणीया अरुणा कपूर जी,

क्या एक दिन महिला दिवस घोषित कर दिये जाने से कुछ होगा.. बाकी ३६४ दिन का क्या?

महिलाओं को नहीं चाहिए सिर्फ ये एक दिन...जबकि हर वक़्त उनको भी उतने ही सम्मान का आधिकार है जितना किसी भी नागरिक का होना चाहिए. 

रचना के भाव आपको पसंद आये इसके लिए आपकी आभारी हूँ .सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service