====== ग़ज़ल========
वो दौर और था जिसमे था आबरू पानी
नहीं उबाल रहा अब के है लहू पानी
नदी में फेंक दिए हमने आज कुछ कंकर
दिखा रहा था मेरा अक्स हू-ब-हू पानी
नया है दौर हुई रस्में यहाँ भाप मगर
उड़ा न देना कहीं आँख से ये तू पानी
क्या बंजरों में कहीं ढूँढना है हरियाली
यहाँ तो जूस्तजू है आब आरजू पानी
क्या "दीप" जा रहे हो फिर नदी किनारे तुम
सँभल के बैठना करता है गुफ्तगू पानी
संदीप पटेल "दीप"
Comment
विलम्ब से आपकी ग़ज़ल पर आ रहा हूँ. सो अधिक कुछ क्या कहना. फिर भी यह अवश्य कहूँगा कि पानी में कंकर फेंकने वाला बिम्ब बहुत ही सुखकर लगा है.
यह अवश्य है कि हरियाली स्त्रीलिंग की तरह प्रयुक्त होती है.
शुभेच्छाएँ.
नदी में फेंक दिए हमने आज कुछ कंकर
दिखा रहा था मेरा अक्स हू-ब-हू पानी....
संदीप ये शेर दिल की गहराइयों तक पहुंचा....एक शेर पूरी ग़ज़ल पर भरी पद रहा है....मकता भी लाजवाब है....दाद कुबूल हो...
नदी में फेंक दिए हमने आज कुछ कंकर
दिखा रहा था मेरा अक्स हू-ब-हू पानी pani mai aks dikh raha to raam teri ganga maili kese ho gai badhai sunder gajal ke liye
नया है दौर हुई रस्में यहाँ भाप मगर
उड़ा न देना कहीं आँख से ये तू पानी
क्या बंजरों में कहीं ढूँढना है हरियाली
यहाँ तो जूस्तजू है आब आरजू पानी
बहुत खूब संदीप जी
बहुत खूब भाई
यह दो अशआर खास तौर पर अच्छे लगे
ढेरों दाद ....
नदी में फेंक दिए हमने आज कुछ कंकर
दिखा रहा था मेरा अक्स हू-ब-हू पानी
क्या "दीप" जा रहे हो फिर नदी किनारे तुम
सँभल के बैठना करता है गुफ्तगू पानी
वाह क्या बात है! बहुत खूब!
आदरणीय श्री संदीप कुमार पटेल जी, "यहाँ तो जूस्तजू है आब आरजू पानी" आपके गजल ने मुझे मंत्र मुग्ध कर दिया! बहुत बहुत बधाई!
क्या "दीप" जा रहे हो फिर नदी किनारे तुम
सँभल के बैठना करता है गुफ्तगू पानी!!!!!!!!बहोत खूब आदरणीय !हार्दिक बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online