For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या आप मुझसे कहकर जाती हैं ?


सरला का छोटा सा सुखी परिवार था. वह बहुत ही अनुशासप्रिय थी. उसके दो बच्चे थे. एक बेटा एक बेटी. बेटा पाँच साल का था और बेटी तीन की. दोनों को अपने काबू में रखती थी सरला.
जब भी कहीं बाहर जाती बच्चों को घर के अंदर रहने की हिदायत देकर बाहर से मुख्य द्वार में ताला लगा देती. बच्चे जब तक बोलने लायक न थे सबकुछ ठीक चलता रहा. एक दिन सरला कहीं बाहर से आयी तो देखा बेटा घर में नहीं है. वह सारा घर छान मारी, आस पास देखा. मगर
बेटा कहीं भी नहीं मिला. वह परेशान होकर अपने पति को जब फ़ोन करना चाही तो देखा उसका बेटा उछलता-कूदता घर में घुस रहा है. सरला को बहुत गुस्सा आया. उसने बेटे का कान पकड़कर कहा – “ कहाँ गया था बिन बताए. मैं कितनी परेशान हो गयी थी. “
बेटे ने बड़ी शांति से कहा, “आप कहीं जाती हैं तो मुझसे कह कर जाती हैं..?”
उसका जवाब सुनकर सरला अवाक रह गयी.

उस दिन के बाद से वह कहीं भी जाती है अपने बच्चों से कहके जाती है.

Views: 442

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 10, 2013 at 12:06am
 आदरणीया कुंती जी बहुत सुन्दर सीख ...हम जो चाहते हैं दूसरों से खुद को उस पर अमल करना चाहिये ही ..बच्चे बड़े तेज हैं आज के ...वैसे भी जो देखते हैं वही  सीखते हैं ..भारत में आप का स्वागत है ...
..जय श्री राधे आभार प्रोत्साहन हेतु 
भ्रमर ५ 
Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 3, 2013 at 10:06am

बहुत बढ़िया

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on March 31, 2013 at 11:31pm

बढ़िया !!!  आज के समय में व्यस्त माता-पिता को एक अनोखी सीख...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 31, 2013 at 5:50pm

बच्चों के मनोविज्ञान के अनुसार ही उनका पालन पोषण होना चाहिए... वो हर एक छोटी से छोटी बात को भी नोटिस करते हैं, और उसी का अनुसरण करने लगते हैं जैसा बड़ों को देखते हैं.... इस सुन्दर लघुकथा के लिए बधाई कुंती मुखर्जी जी 

Comment by vijay nikore on March 31, 2013 at 4:26pm

आदरणीया कुंती जी:

 

सरल शब्दों में महत्वपूर्ण संदेश देती लघु-कथा के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 31, 2013 at 3:04pm

आदरणीया, कुन्ती मुखर्जी जी, सबसे पहले आपको सपरिवार प्रेम एवं सद्भावना का प्रतीक होली के पावन त्योहार पर हार्दिक शुभकामनाएं।  वास्तव में हम बच्चों से अनुशासन बध्य होने की अपेक्षा रखते हैं। किन्तु जहां हमारी बारी आती है, हम सदैव शिथिल ही रहते है। बहुत सुन्दर सीख। बधाई स्वीकार करें, सादर।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 31, 2013 at 10:50am

बच्चे वही सीखते है जो हम सिखाते है, वास्तव में बच्चे कहने से ज्यादा हामारे व्यवहार को देखते है, हम अपने आचरण से ही 

उन्हें अच्छे संस्कार दे सकते है | सुन्दर सन्देश देती रचना के लिए बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 31, 2013 at 9:04am

बच्चे हमेशा बडों का अनुसरण करके बड़े होते हैं यदि उनको अच्छे संस्कार देने हैं तो सर्वप्रथम अपने आचरण को ठीक रखना होगा बहुत बढ़िया संदेश देती हुई लघु कथा के लिए कुंती जी बधाई आपको |

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 31, 2013 at 7:25am

छोटी सी लघुकथा प्रेरणादायक है !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय दयाराम मैठानी जी प्रदत्त विषय पर आपने बहुत सुंदर रचना प्रस्तुत की है। इस प्रस्तुति हेतु…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी, अति सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"गीत ____ सर्वप्रथम सिरजन अनुक्रम में, संसृति ने पृथ्वी पुष्पित की। रचना अनुपम,  धन्य धरा…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ पांडेय जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"वाह !  आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त विषय पर आपने भावभीनी रचना प्रस्तुत की है.  हार्दिक बधाई…"
11 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ पर गीत जग में माँ से बढ़ कर प्यारा कोई नाम नही। उसकी सेवा जैसा जग में कोई काम नहीं। माँ की…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
Thursday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service