ओबीओ परिवार सम, शारद के सब भक्त
’सीख-सिखाना’-अर्चना, भाव गहन हों व्यक्त
भाव गहन हों व्यक्त, आज का दिन पावन है
नदिया धारे धार, जिये नित परिवर्तन है
तट-बंधन दृढ़ युगल, अगर कुछ बेतुक भी हो--
बहती नदिया मौन, कहे सबसे ओबीओ.. .
ओबीओ के प्रादुर्भाव का पावन दिवस सभी सदस्यों और शुभचिंतकों के लिए मंगलमय हो.. . हम समवेत सीखें .. ..
Comment
आदरणीय गुरूवर जी, सादर प्रणाम! यह ओ0बी0ओ0 मंच, स्वयं को आपकी उक्त कुण्डलियां के समान ही पतित पावनी गंगा की भांति पावन कर रही है। मुझे तो "ओ0बी0ओ0" अर्थात् "ओपेन बचन ओंकार" सा प्रतीत होता है। आप सभी को हार्दिक बधाई। सादर,
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय पंकजभाईजी.. .
इस पावन दिन पर ओबीओ के सभी सदस्य और एडमिन टीम को दिल से बधाई
आपका अनुमोदन हृदय से स्वीकार करता हूँ, आदरणीय प्रदीपजी.
बहती नदिया मौन, कहे सबसे ओबीओ .
आदरणीय गुरुदेव सौरभ जी
सादर प्रणाम
जय ओ बी ओ
सादर
आदरणीय जवाहरलालजी, आपका अनुमोदन ह्रुदय से स्वीकार करता हूँ.
स्नेही केवल भाईजी, हार्दिक धन्यवाद.
भाई, हम सभी इस मंच के प्रति आभारी हैं कि रचना विधाओं से संबन्धित हम सबकुछ यहीं समवेत सीख रहे हैं.
आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी, सादर धन्यवाद कि आपको मेरा संवाद-प्रवाह संतुष्टिदायी लगा.
सादर
डॉ.प्राची, आपको मेरा कहा स्पष्ट लगा और छंद के भाव रुचिकर लगे यह मेरे प्रयास को सम्मान सदृश है.
सादर
भाई श्रीरामजी, हार्दिक धन्यवाद.
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