प्रतिष्ठान के मालिक ने
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स्नेही केवल प्रसाद जीसादर आभार
आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी
आपके हस्ताक्षर मेरी संतुष्टि है.
सादर आभार
स्नेही पाठक जी
सादर आभार
आदरणीय डॉ अजय जी
सादर आभार स्नेह हेतु
आदरणीया प्राची जी
स्नेह हेतु सादर आभार
आदरणीय, प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा जी, हां! जनता तो ऐसी ही है...‘हाय जनता भ्रम न टूटा
बार बार तुम छले जाते
जोड़े रहते तब भी नाते ‘ सुन्दर रचना। बहुत बहुत बधाई।
सामयिक रचना पर हार्दिक बधाई, आदरणीय प्रदीपजी.. .
इस सामयिक गीत के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय प्रदीप कुमार कुशवाहा जी
adarniy kushwaha ji vyang teekha v gahra tha badhai
आज जनता भोली-भाली तो नहीं, पर तंद्रा में अवश्य है, तभी तो कतिपय नेता जन अपने उन्हीं पुराने वायदों के खोखलेपन के कई सबूत देने के बाद भी सत्ता में आते रहते हैं..
इस सामयिक गीत के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय प्रदीप कुमार कुशवाहा जी
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