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हरिगीतिका/16,12 जय जय हनुमान !!!

हनुमान दास, राम गुन भाष, भक्ति रस ज्ञानी घने।

तु चंचल चपल, तेजस अतिबल, अखिल रवि विद्या जने।।

तुम मारूत सुत, शंकर अंशम, देव सब तप वरदने।

तुम अजर अमर, सुजान सुन्दर, प्रेम रस देखत बने।।1

महत्तम वीर, औ विकट धीर, निर्मलता हृदय रमी।

तुम दीन कथा, समरथ विरथा, तत्छन उबारत गमी।।

बहु विधि सताय, लंक जराए, सीतहि हर दुःख थमी।

संजीवन सुख, लछमन जागे, सफल काज नाहि कमी।।2

रघुवीर पाद, सनेह रूचि रख, काज तुम बड़-बड़ कियो।

श्री राम दिये, मोतिन माला, दांत तुम चट-चट कियो।।

पूंछहि अचरज, सीतहि माता, मोतिया क्यों चट कियो।

बोले हनुमत, राम गुनों बिन, दाह दिल माला कियो।।3

के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 3, 2013 at 8:35am

आदरणीय, श्री अशोक कुमार रक्ताले जी, सुप्रभात!   जय जय हनुमान जी का गुण गान करने हेतु आपका हार्दिक आभार। जय जय हनुमान!! 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 3, 2013 at 8:11am

आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर, श्री हनुमान जी के यशोगान पर सुन्दर छंद प्रस्तुत किया है. बहुत बहुत बधाई.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 3, 2013 at 7:05am

आदरणीय,  जवाहर लाल सिंह जी,  सुप्रभात!  जय जय हनुमान का गुण गान करने हेतु आपका हार्दिक आभार। जय हनुमान!! 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 3, 2013 at 7:03am

आदरणीया कुन्ती मुर्खीजी जी, सुप्रभात!  जय जय हनुमान का गुण गान करने हेतु आपका हार्दिक आभार।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 3, 2013 at 4:38am

आदरणीय श्री केवल प्रसाद जी, सादर अभिवादन!

मंगलवार के दिन श्री हनुमान जी की आराधना हम सभी करते हैं आपने तो चाँद पंक्तियों में उनका समस्त गुगान कर डाला ...जय जय हनुमान गुसाईं ....

Comment by coontee mukerji on April 3, 2013 at 12:52am

केवल प्रसाद जी , बहुत सुंदर छंद है, .

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