गद्य के खंड रचे
प्रवाह भर भर के
इतना प्रवाह के
कविता टिक न सकी
पल भर को
उड़ गयी कहीं दूर
बहुत दूर
कवियों की खोज मे
और लेखक इतराता है
अतुकान्त का बोध कराता
स्वयं को
गुपचुप मुस्काता
सोचता है
कौन जानता है
कविता का आंतरिक सौंदर्य
बाहरी परिवेश
इंफ्रास्ट्रकचर ठीक
मतलब सब ठीक
अंदर जा के
किसको क्या मिला है
लय छन्द ताल
व्यर्थ हैं भाव के बिना
फिर एक मुस्कान भरता है
देखा हो गया न आसान
खुद को जॅस्टीफ़ाई करना
बन गया न गद्य
कविता प्रवाह युक्त
बिल्कुल मुक्त
मुक्त काव्य
शिल्प है न !!
अतुकान्त
संदीप पटेल "दीप"
Comment
आदरणीय गुरुदेव सादर प्रणाम
आपकी बधाई पाकर लेखन सफल हुआ
स्नेह और आशीष यूँ ही बनाये रखिये
सादर आभार आपका
... लेखक इतराता है
अतुकान्त का बोध कराता
स्वयं को
गुपचुप मुस्काता
सोचता है
कौन जानता है
कविता का आंतरिक सौंदर्य
:-)))))
बधाई, भाई संदीपजी .. .
आदरणीया डॉ प्राची जी, आदरणीया कुंती जी, आदरणीय राम भाई , आदरणीय अशोक सर जी, आदरणीय केवल जी , आदरणीय संदीप भाई, आदरणीय लक्ष्मण सर जी आप सभी का ह्रदय से धन्यवाद इस प्रयास को सराहने हेतु
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
सादर आभार आप सभी का
वाह ! संद्देप भाई मै तो ओबीओ में आने से पहले अतुकांत का ही आनंद लेता आ रहा था | मैंने विध्य्यार्थी जीवन में और युवा
अवस्था में हकीकत" अग्रागामी मासिक, और निराला समाज त्र्स्दामासिक का सम्पादन तक किया है जब तक मै छंद शिल्प
विधा से अनभिग्य था, आपकी पैरवी से कुछ तसल्ल्ली सी हुई | सुन्दर रचना के लिए बधाई
आदरणीय संदीप पटेल जी, बहुत बहुत सुन्दर, बधाई स्वीकारें।
:-)
आदरणीय संदीप कुमार पटेल जी, बहुत ही सुगढ़ शैली में पता ही नही चलता कि कविता कब समाप्त हो गई। बहुत बहुत सुन्दर, बधाई स्वीकारें।
आदरणीय संदीप जी सादर गद्य रचना को बल देती सुन्दर अतुकांत रचना. बधाई स्वीकारें.
संदीप जी कविता भावनाएं व्यक्त करने का एक अच्छा माध्यम है जिसमें एक सन्देश हो तो सोने में सुहागा है .धन्यवाद .
आदरणीय संदीप पटेल जी,
अतुकांत काव्य की अच्छी पैरवी की है...
बधाई
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