For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

!!! मासूम सा बच्चा !!!


जाति-पाति और औकात नहीं!
माँ से बिछड़ा-बाप से बिछड़ा
जन-समाज ने पुचकारा नहीं !
दुनिया देख रहा अब बच्चा !
हिन्दू न मुस्लिम बिलकुल सच्चा!
जिसको देखता उसको लुभाता,
लगता जैसे अपना बच्चा !
मंदिर का घंटा ज्यो बजता,
दौड़ चहेक कर आता बच्चा !
मस्जिद की आजान को सुनकर,
रोज फूक डलवाता बच्चा!
हरी शर्ट-केसरिया नेकर,
नंगे पैर ठुमकता बच्चा !
मंदिर का प्रसाद और हलुवा,
गुरूद्वारे में लंगर चखता !
मस्जिद की मिलाद में जाकर,
बूंदी-मीठा शरबत पीता !
बड़ा उमंग-आनंद-उल्लास,
भारत की शान - भारत का बच्चा !
जहाँ किसी ने मारा चाकू
और किसी ने बम को फोड़ा !
मस्जिद के दर सोये बच्चे को
उठा कर फेका मंदिर चौखट पर !
मंदिर पर पड़ा ज्यो डंडा
भाग गया वह गुरूद्वारे पर !
यहाँ चम-चम चमकती तलवारें
काँप गयी रूह बच्चे की !
अब कहाँ भागे, न मिले ठिकाना
यह बच्चे का है बचकाना !
यह कैसा माहौल हो गया,
बच्चा अब बेहोश हो गया !
सुबह हुयी तो भीड़ बढ़ी थी,
खामोश बच्चे की लाश पड़ी थी!
यह कैसा इन्सान है यारो !
पत्थर मारो ! पत्थर मारो !!
के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 631

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 16, 2013 at 10:50pm

आदरणीय गुरूवर सौरभ सर जी,   जी सर, आपका सुझाव शिरोधार्य है।  एक बार फिर कोशिश करूंगा। आपकी उदारता और नेक दिली ही ओ0बी0ओ0 को उच्च शिखर की ओर ले जा रही है। मैं कृतार्थ हुआ।  आपका बहुत.बहुत हार्दिक आभार।   सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2013 at 9:52pm

एक अच्छी रचना का प्रयास हुआ है. आप थोड़ा और समय देते तो रचना के कथ्य में और कसावट होती. इब्ने इंशा की अति प्रसिद्ध कविता ’यह बच्चा किसका बच्चा है’ की अचानक याद आगयी.

शुभेच्छाएँ.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 9, 2013 at 9:27am

आदरणीय सुरेन्द्र कुमार शुक्ला जी, सादर प्रणाम!  आपने कविता को मान देकर हमें अनुग्रहीत किया है।  आपका अभिनन्दन सहित हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 9, 2013 at 12:18am

प्रिय केवल जी ..सुन्दर भाव ..बच्चे मन मन के सच्चे प्यारे और न्यारे तो होते ही हैं मुस्कान बिखेरते काश इनको प्यारा जहां मिले इन्हें जाति  धर्म की जंजीरों से जुदा प्यार मिलता रहे 

सुन्दर 
भ्रमर ५ 
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 6, 2013 at 6:00pm

आदरणीय, लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी,  आपके आशीष वचनों से मैं धन्य हो गया। सादर एवं बहुत-बहुत हार्दिक आभार। 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 6, 2013 at 1:27pm

मासूम बच्चा दिल को होता सच्चा 

तुतलाती बोली में लगता अच्छा | 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 6, 2013 at 11:05am

आदरणीया, वंदना तिवारी जी, जी मैम, बच्चे प्यारे होते ही हैं और मुझे तो बहुत ज्यादा ही भाते हैं। आपकी सराहना हेतु मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 6, 2013 at 11:02am

आदरणीया, शालिनी कौशिक जी, जी मैम, बच्चे प्यारे होते ही हैं और मुझो बहुत ज्यादा ही भाते हैं। आपकी सराहना हेतु मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 6, 2013 at 10:58am

आदरणीय, आशीष नैथानी श्सलिल' जी, बच्चे प्यारे होते ही हैं और उससे प्यारा होता है मासूमियत। आपकी सराहना हेतु मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं। सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 6, 2013 at 10:52am

आदरणीय,जवाहर लाल सिंह जी, बच्चे प्यारे होते ही हैं और उससे प्यारा होता है मासूमियत जब इसके साथ कोई ख्लिवाड़ होता है, चाहे वह बच्चा हो या फिर बड़ा तो कष्ट होता है। आपका बहुत बहुत आभार। सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
9 hours ago
ajay sharma shared a profile on Facebook
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service