नववर्ष
नव वर्ष हमारा आ भी गया, शुभ कामना छा भी गया।
इक वर्ष हमारा गुजर गया,इक वर्ष हमारा बढ़ भी गया।।
हम इस वर्ष को प्यार करें, मिलकर शांति बिहार करे।
नहीं जात-पात आडम्बर हो,मिल सम्प्रदाय विचार करें।।
यहां आतंक वाद की बेला है,चहुं दिश जग अंधियारा है।
इस वर्ष के नूतन प्रभात से, हमको आतंक मिटाना है।।
नववर्ष हमारा हो मंगल, जन-जन की विकृति दूर करें।
न भेद-भाव न धर्म-देश, विश्वबंधुत्व का स्वर गूंज करें।।
सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीया गीतिका वेदिका जी, जी मैम! आपने बिलकुल सही कहा। डर तो लगता है। आ0 गुरूवर जी से तो बहुत ही ज्यादा। अगर घिघ्घी नहीं बंधेगी तो सीखूंगा कैसे? गलती तो है। और जब गलती समझ में आती है तो हंसी भी आती है। आपका बहुत बहुत धन्यवाद...आपको भी हंसी आई...। सादर,
हा हा हा :)))))) माफ़ कीजिये केवल प्रसाद जी! ऐसे लगा की आदरणीय सौरभ सर मानो क्लास आपको लाइव डांट रहे हो और आपकी मानो घिघ्घी बंध गयी और मै मुहँ छुपा के शैतान बच्चे की तरह हँस रही होऊं :)))))
आदरणीय गुरूवर सौरभ जी, जी सर, क्षमा करें, मात्र तुक बंदी हित में लिखा। पुनः क्षमा प्रार्थना। सादर,
नव वर्ष हमारा आ भी गया, शुभ कामना छा भी गया.. . . ये क्या है भाई ? कामना शुभ हो या अशुभ पुल्लिंग कबसे होने लगी ?
आ0 राम शिरामणि पाठक जी, प्रिय मित्र, आपका बहुत बहुत आभार सहित हार्दिक धन्यवाद। सादर,
आ0 प्रदीप कुमार कुशवाहा जी, आपका बहुत बहुत आभार सहित हार्दिक धन्यवाद। सादर,
स्नेही प्रसाद जी
निश्चित हों सफल
लें ऐसा संकल्प
कामना रहे न अधूरी
बधाई
हम इस वर्ष को प्यार करें, मिलकर शांति बिहार करे।
नहीं जात-पात आडम्बर हो,मिल सम्प्रदाय विचार करें।।
आदरणीय बड़े भाई बहोत सुन्दर/
आदरणीय संदीप कुमार पटेल जी, जी, मैं आपके बात से सहमत हूं। हां, ऐसा हो जाता है। किन्तु अब मैं आपके सुझाव को गंभीरता से ले रहा हं। सार्थक सुझाव के लिए धन्यवाद सहित आभार,
नव वर्ष पर शुभ भावों के लिए बधाई केवल प्रसाद जी.
आ० संदीप जी के कहे से सहमत हूँ... कि आपकी रचनाओं में संप्रेषणीयता जल्दबाजी की भेंट चढ़ जाती है...
विशवास है आप ध्यान देंगे और रचनाकर्म को सुगढ़ करेंगे.
शुभकामनाएँ
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