लो पत्थर इश्क़ करना चाहता है
मेरी मानिंद जलना चाहता है
लगा के हौसलों के पर युवा अब
बड़ी परवाज़ भरना चाहता है
फलक में जा भुला बैठा जो सबको
ज़मीं पर क्यूँ उतरना चाहता है
सहारे की ज़रूरत है उसे क्या
जो गिर के अब सँभलना चाहता है
बना हमदाद दुनिया में वही जो
सभी के दिल मे बसना चाहता है
संदीप पटेल "दीप"
Comment
वाह! सुन्दर गजल भाई संदीप जी बहुत बहुत बधाई लें.
बना हमदाद दुनिया में वही जो
सभी के दिल मे बसना चाहता है
लो पत्थर इश्क़ करना चाहता है
मेरी मानिंद जलना चाहता है...भाई पत्थर इश्क़ किससे करेगा?? आप जलोगे तो आपका नुकसान होगा लेकिन पत्थर का क्या होगा जल के भला वो कैसे जलेगा॥?/
लगा के हौसलों के पर युवा अब
बड़ी परवाज़ भरना चाहता है...बड़ी ऊंची फिक्र है सानी मिसरे को एक बार फिर से देख लें ॥बढ़िया
फलक में जा भुला बैठा जो सबको
ज़मीं पर क्यूँ उतरना चाहता है..............ये तो वही जाने की क्यूँ उतरना चाहता है...अच्छा है
सहारे की ज़रूरत है उसे क्या
जो गिर के अब सँभलना चाहता है.......अच्छा शेर हुआ है...दाद कुबूल हो
बना हमदाद दुनिया में वही जो
सभी के दिल मे बसना चाहता है...बेशक ! लाजवाब
संदीप भाई बहुत बहुत दाद कुबूल करें !!
आदरणीय संदीप कुमार पटेलजी, ’फलक में जा भुला बैठा जो सबको
ज़मीं पर क्यूँ उतरना चाहता है’ अतिसुन्दर। हार्दिक बधाई स्वीकारे। सादर,
बढ़िया संदीप जी!
बहुत सुन्दर गज़ल प्रिय संदीप जी
लो पत्थर इश्क़ करना चाहता है ...... बहुत सुन्दर पंक्ति , बहुत पसंद आया यह शेर
मेरी मानिंद जलना चाहता है
लगा के हौसलों के पर युवा अब
बड़ी परवाज़ भरना चाहता है.................... वाह युवाओं के इस जोश हौसले के सामने बड़ी से बड़ी उड़ान सहज है
सुन्दर गज़ल के लिए हार्दिक बधाई
वाह वाह, सभी शेर अच्छे लगें, बढ़िया ग़ज़ल कही है संदीप जी, बधाई स्वीकार करें ।
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