=====ग़ज़ल======
जो पता हो गये निशाने सब
तीर आने लगे चलाने सब
आँख खोली सुबह हक़ीकत ने
ख्वाब टूटे मेरे सुहाने सब
उनकी मासूम अदा देखें जो
थाम लेते हैं दिल दीवाने सब
कितनी तारीफ मैं करूँ उनकी
कम ही लगते हैं ग़ज़लो गाने सब
उनके दीदार जब हुए जाना
क्यूँ भटकते हैं उनको पाने सब
दौरे रुखसत में दोस्त आए हैं
बस जनाज़ा मेरा उठाने सब
झूठ आया है सामने अब तो
जान पाए हैं थे बहाने सब
गर्दिशें जब से मिली हैं हमको
"दीप" आएँ है तब जलाने सब
संदीप पटेल "दीप"
Comment
उनके दीदार जब हुए जाना
क्यूँ भटकते हैं उनको पाने सब..........वाह क्या बात है.
बढ़िया गजल आदरणीय संदीप जी सादर बधाई स्वीकारें.
आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सादर प्रणाम
आपकी दाद के लिए बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार
सुधार कार्य जल्द ही कर के आपको अवगत करूँगा सर जी
स्नेह यूँ ही बनाए रखिए
क्या मतला हुआ है ! वाह !
ज़ल्दबाज़ी स्वीकार ही लिया है तो क्या कहना ? मिसरों के सुधर जाने की प्रतीक्षा में. .
आदरणीय केवल प्रसाद जी , आदरणीय वीनस सर जी , आदरणीया शालिनी जी आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद और सादर आभार स्नेह यूँ ही बनाए रखिए
आदरणीय वीनस सर जी सुधार आवशयक् है ये मिसरे जल्दबाज़ी मे बेबह्र हो गये हैं जल्द ही समय निकाल के इसे सुधारँगा स्नेह यूँ ही बनाए रखिए
बहुत सुन्दर
अच्छी जमीन पर कुछ अच्छे अशआर के लिए बधाई ...
जो पता हो गये निशाने सब
तीर आने लगे चलाने सब
मतला सबसे जानदार है इसके लिए अलग से दाद ...
इन पर पुनः गौर करें ....
उनकी मासूम अदा देखें जो
गर्दिशें जब से मिली हैं हमको
कम ही लगते हैं ग़ज़लो गाने सब
आ0 संदीप पटेल जी, बहुत-बहुत सुन्दर। बधाई स्वीकारें, सादर,
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय राजेश सर जी ...सादर आभार
जय हो आदरणीय, आपको मुबारकबाद
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