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नारी उत्थान 
महिलाओं की स्थिति में निरंतर सुधार
ऐसा कहते टीबी टीवी, अखबार
ऐसी ख़बरों का संकलन
कथनी करनी का आकलन 
"महिला आरझन आरक्षण बिल की बात संसद मै उठाई "
"महिला की सरेआम पिटाई 
नारी देवीतुल्य जननी
दहेज़ के खातिर टूटी मगनी मंगनी
महिला सशक्तिकरण का प्रचार
बढ़ते दुराचार 
बेटा बेटी की समाप्त धारणा
बेटी जन्मी, बहू को प्रताड़ना प्रतारणा 
नारी का उत्थान 
सफल बेटी बचाओ अभियान
चहुँ और बोल रही नारी की तूती 
नारी आज भी पैर की जूती
नारी पुरुष मै नहीं बिषमताएँ 
नहीं थमी भ्रूण हत्तयायें
नारी की गुलामी का समापन
नारी देह से होता विज्ञापन
नारी सभ्यता, संस्कार, नारी तमीज तमीज़
नारी तो केबल केवल भोगने की चीज चीज़
पुरुष प्रधान था आज भी प्रधान है 
नारी का जीवन बस त्याग व् बलिदान है
Dr.Ajay.Khare.Aahat

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Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 8:54am

आदनीय डॉ. अजय खरे साहब सादर, बहुत सुन्दरता से आज के परिद्रिश्य को प्रस्तुत किया है. जाना था जापान पहुँच गए चीन.... वाली स्थिति है. जहां दिनों दिन सभ्यता के विकास के साथ ही नारी समाज को जो उच्च स्थान मिलना था वह तो दूर आज जो स्थिति है वह सदैव निराश करती है. सुन्दर रचना. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by Usha Taneja on April 22, 2013 at 5:33pm

आदरणीय  Dr.Ajay Khare जी, नारी उत्थान के ढोल पीटने के बाद भी नारी की स्थिति में सुधार आने की बजाये अधिक बिगड़ी है. गंभीर समस्या को चिंतनपरक शब्दों में उकेरा है आपने.

सादर

उषा 

Comment by Dr.Ajay Khare on April 22, 2013 at 12:10pm

sabhi aatmiya jano sadhubaad

Comment by Shyam Narain Verma on April 20, 2013 at 3:31pm

 

आदरणीय,

 

बहुत सुन्दर भावों से भरी रचना हेतु बधाई हो ....................

Comment by coontee mukerji on April 20, 2013 at 2:09am

नारी को अपनी लड़ाई खुद लड़नी है.चाहे कितना बलिदान  अपने को क्यों न करना पड़े. रोना गिरगिराना  पुरूष समाज का मुँह ताकना 

कब तक चलेगा . हमारी जबान तो बहुत चलती है ,अगर हम थोड़ी हिम्मत और दिमाग के इस्तेमाल के साथ ही अपने हाथ पैर भी चलाना सीख जाएँ तो वह दिन दूर नहीं जब नारी  सर उठाकर  निर्भीकता से समाज में जी सकेगी . लेकिन जब तक अग्यान्ता अशिक्षा  नहीं हटेगी ये सिलसिला चलती रहेगी . शिक्षा के अतिरिक्त नारी समाज में जागरूक्ता की बड़ी आवश्यक्ता  है...क्योंकि अक्सर देखा गया है औरत दूसरी औरत के पतन का सबसे बड़ी भूमिका निभाती है . डाक्टर खरे जी आपकी रचना बहुत सारे

सवाल खड़े कर रहे हैं...........? सादर कुंती .

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 18, 2013 at 11:18pm

आदरणीय अजय खरे जी,  सार्थक कथ्य, सुन्दर व्यंग ।  हार्दिक बधाई स्वीकारे।  सादर,

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on April 18, 2013 at 9:48pm
कैसे हो नारी उत्थान
बहुत सुन्दर भावों से भरी रचना हेतु बधाई हो आदरणीय
Comment by वेदिका on April 18, 2013 at 7:34pm

बहुत खूब नारी उत्थान ....शुभेच्छाएं अजय जी!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 18, 2013 at 6:51pm

चहुँ और बोल रही नारी की तूती 
नारी आज भी पैर की जूती--------सामाजिक जागरुकता का अभाव 

नारी देह से होता विज्ञापन ------  नारी स्वयं भी दोषी है 
नारी सभ्यता, संस्कार, नारी तमीज तमीज़ 
नारी तो केबल केवल भोगने की चीज चीज़

नारी पर लिखने और सोंचने पर मज्ज्बूर करने के लिए बधाई 

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