For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१-अँधेरा

जिधर देखो उधर अँधेरा ही अँधेरा
तुम नजर उठाओ तो सही
गाँव ,शहर ,या घर में भी
काली रातें, घोर अन्धेरा
और कहीं
कुछ दिखता है क्या ?
बहुत अंधकार दिख रहा है ना
क्या कोई दीपक जल रहा है
तो उसे जलने दो

२-बूढ़ा बाप-

बेजान कमरे में !
मेरा दम घुटने लगा है
यहाँ से नहीं निकाल सकते तो
कम से कम मार ही डालो मुझे

३-दर्द

न दिखने वाले दर्द से दब गया हूँ
इसलिए रो रहा हूँ की
थोड़ा हलका हो जाऊ

४-तनहाई

तनहाई की रात
मै और मेरी तनहाई
एक चादर में लिपटे
रात भर बतियाते रहे

५-पूँजी

मेरी पूँजी
मेरी कवितायेँ
और है ही क्या मेरे पास

६-सुन्दरता

चाँद जैसा मुखड़ा
बालो में फूल लगाये हुए
चेहरे की चमक जैसे
पुष्प पे ओस की बूँद का
रजत आकर्षण
अचंभित टुकटुकी लगाये
निहारे जा रहा था


७-रक्त

पहले गरम हुआ
फिर खौलने लगा रक्त
जैसे ही देश सेवा की बात आई !!

राम शिरोमणि पाठक"दीपक"

Views: 717

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on April 25, 2013 at 12:21pm

हार्दिक आभार आदरणीय अशोक सर /////

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 25, 2013 at 8:37am

२-बूढ़ा बाप-

बेजान कमरे में !
मेरा दम घुटने लगा है
यहाँ से नहीं निकाल सकते तो
कम से कम मार ही डालो मुझे............बहुत मार्मिक.

सभी क्षणिकाएं बढ़िया हैं भाई राम शिरोमणि जी हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by ram shiromani pathak on April 24, 2013 at 2:22pm

हार्दिक आभार आदरणीय भाई अरुण जी ///

Comment by अरुन 'अनन्त' on April 24, 2013 at 2:13pm

वाह अनुज वाह बहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं, आपकी कलम की धार तेज होती जा रही है घिसाई करते रहिये मंजिल दूर नहीं. हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by ram shiromani pathak on April 24, 2013 at 2:01pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र शुक्ला जी //////ऐसे ही स्नेह बनाये रखे ////

Comment by ram shiromani pathak on April 24, 2013 at 2:00pm

हार्दिक आभार आदरणीय मनोज शुक्ला जी  ////////

Comment by ram shiromani pathak on April 24, 2013 at 1:57pm

हार्दिक आभार आदरणीया कल्पना जी / सादर

Comment by ram shiromani pathak on April 24, 2013 at 1:57pm

हार्दिक आभार आदरणीया प्राची मैम/ सादर प्रणाम ///ऐसे ही स्नेह बनाये रखे ////

Comment by कल्पना रामानी on April 24, 2013 at 1:10pm

तनहाई की रात
मै और मेरी तनहाई
एक चादर में लिपटे
रात भर बतियाते रहे...

बहुत सुंदर, राम शिरोमणि जी...बधाई आपको


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 24, 2013 at 12:59pm

क्षणिकाओं पर सुन्दर कलम चली है प्रिय राम शिरोमणि जी 

हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service