१-अँधेरा
जिधर देखो उधर अँधेरा ही अँधेरा
तुम नजर उठाओ तो सही
गाँव ,शहर ,या घर में भी
काली रातें, घोर अन्धेरा
और कहीं
कुछ दिखता है क्या ?
बहुत अंधकार दिख रहा है ना
क्या कोई दीपक जल रहा है
तो उसे जलने दो
२-बूढ़ा बाप-
बेजान कमरे में !
मेरा दम घुटने लगा है
यहाँ से नहीं निकाल सकते तो
कम से कम मार ही डालो मुझे
३-दर्द
न दिखने वाले दर्द से दब गया हूँ
इसलिए रो रहा हूँ की
थोड़ा हलका हो जाऊ
४-तनहाई
तनहाई की रात
मै और मेरी तनहाई
एक चादर में लिपटे
रात भर बतियाते रहे
५-पूँजी
मेरी पूँजी
मेरी कवितायेँ
और है ही क्या मेरे पास
६-सुन्दरता
चाँद जैसा मुखड़ा
बालो में फूल लगाये हुए
चेहरे की चमक जैसे
पुष्प पे ओस की बूँद का
रजत आकर्षण
अचंभित टुकटुकी लगाये
निहारे जा रहा था
७-रक्त
पहले गरम हुआ
फिर खौलने लगा रक्त
जैसे ही देश सेवा की बात आई !!
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
Comment
प्रिय दीपक जी ..प्यारे विषय और सुंदर भाव ...आप की ये पूँजी बनी रहे समाज में दीपक यूं ही रौशनी विखेरता चले
आदरणीया कुन्ती जी कोई बात नहीं और उन्होंने कौन सी बात गलत कह दी //हार्दिक आभार
भूल सुधार. अभी मेरे नाम से जो टिप्पणी गयी है वह मेरे पति डॉ. शरदिंदु ने की है मेरे आई.डी. से.
आदरणीय भाई केवल प्रसाद जी हार्दिक आभार/////
आ0 राम शिरोमणि जी, प्रिय मित्र! वाह! बहुत सुन्दर क्षणिकाएं मर्मस्पर्शी। बधाई स्वीकारें। सादर,
भाई पाठक जी, मज़ा आ गया. आपकी कलम से नये अंदाज़ की रचना पढ़ने को मिली. " तन्हाई" विशेष रूप से पसंद आई......मुझे याद आ गया- कभी मैंने लिखा था ' छेड़ो नहीं , मेरी तन्हाई भी आज तन्हा होना चाहती है '. आपने वे दिन याद दिला दिये. हार्दिक मंगलकामनाएँ.
हार्दिक आभार आदरणीय रौशन जी//////////
हार्दिक आभार आदरणीया कुन्ती जी //////
हार्दिक आभार भाई ब्रिजेश जी ///आप ने अपना अमूल्य सुझाव दिया ////सुधर प्रक्रिया तो अनवरत चलती रहती है //
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online