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माँ //कुशवाहा //

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कोई याद रहे या न रहे
कोई साथ रहे या न रहे
हम रहें या  न रहें
तुम रहो या न रहो
हमेशा वो  रहती है
स्वयं और उसकी यादें
माँ

प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा 

१-५-२०१३ 

मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 413

Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on May 4, 2013 at 7:14am

आदरणीय प्रदीप जी, माँ के प्रति सुंदर अभिव्यक्ति. सुन्दर.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 4:06pm

आदरणीय मनोज शुक्ल जी 

सादर आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 12:50pm

सच में,

प्रिय ब्रजेश जी 

हिम्मत बढ़ी लिखने हेतु. 

सस्नेह आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 12:49pm

आदरणीय राजेश कुमारी जी 

सादर 

प्रोत्साहन हेतु आभार 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 12:48pm

प्रिय केवल प्रसाद जी 

सस्नेह आभार 

Comment by manoj shukla on May 2, 2013 at 7:35am
बहुत सुन्दर भाव...बधाई स्वीकारें अदर्णीय
Comment by बृजेश नीरज on May 1, 2013 at 10:19pm

आदरणीय प्रदीप जी इस रचना में आपका कवि पूरी तरह से निखर रहा है। बहुत सुन्दर! मां को इस बेहतर नमन क्या हो सकता है! आपको इस सुन्दर रचना पर ढेरों बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 1, 2013 at 9:40pm

माँ  के चरणों में ये शब्द पुष्प दिल को छू गए माँ को नमन 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 1, 2013 at 8:29pm

आ0 कुशवाहा जी,   वाह सर जी,  आपने कितने अन्तर्मन से मां के प्रति श्रध्दा सुमन अर्पित किया है। आपको तहेदिल से हार्दिक बधाई।  सादर,

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