!!! लखनऊ शहर !!!
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!!
नवाबी सुरूर,
बागों की हूर
हुस्न औ शबाब,
हजरत आदाब।
अमनों शहर मजहबी सजदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!1
मस्जिद आजान
मंदिर रस गान
अमृत औ नीरज
साहित्य धीरज।
शायर कवि कहते बेपरदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!2
भूल भुलईया
दिलकुशा छइयां
गंजो का गंज
बागों का ढंग।
यहां हरियाली रहती फिदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!3
गलियों की महक
अहातों की चहक
पतंगी जुनून
फाखता सुकून।
आन बान शान शौकत अदा।
जीवन है सरस लखनऊ सदा!!4
के0पी0सत्यम/ मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आ0 मनोज भाई जी, ’’मुस्कुराईए कि आप लखनऊ में है’’ आपका हार्दिक स्वागत है। आपका तहेदिल से बहुत बहुत आभार। सादर,
आ0 रामानी जी, आपकी टिप्पणी मात्र से मैं धन्य हो गया। ’मुस्कुराईए कि आप लखनऊ में है’ हर बार आपका हार्दिक स्वागत है। लखनऊ की यात्रा पुनः स्मृति पटल पर छाने के लिए आपका तहेदिल से बहुत बहुत हार्दिक आभार। सादर,
आ0 कुशवाहा जी, ’मुस्कुराईए कि आप लखनऊ में है’ आपका हार्दिक स्वागत है। आपका तहेदिल से बहुत बहुत आभार। सादर,
आ0 बसंत नेमा जी, आपके लखनऊ के प्रति लगाव को मेरा सादर नमन् है। आपका तहेदिल से बहुत बहुत आभार। सादर,
बहुत सजीव और सटीक वर्णन किया है,केवल प्रसाद जी, पढ़कर मुझे अपनी लखनऊ यात्रा याद आ गई।
सही कहा लखनऊ हेतु
स्वागत है लखनऊ में.
बधाई
बहुत सजीव परिचय दिया है आपने अपने शहर का ......... बधाई
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