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छत्तीस बरस की गुलाबी चुनरिया (शादी की छत्तीस्वी साल गिरह )ओ बी ओ पर १ ० ० वीं पोस्ट

                                          (फूलों से दिन का शुभारम्भ) 

फिर लहराई 

सुभागी ,गुलाबी 

गोटेदार चुनरिया 

जिसका सितारों भरा आसमाँ 

प्रत्यक्षदर्शी है उन 

अविस्मरणीय लम्हों का 

जिसकी एक छोर से 

किया गया था गठबंधन 

प्रियतम की पीली चादर 

की छोर से,

उस छोर की सिलवटें 

जस की तस 

आज भी उन पलों को जीती हैं 

एक सितारा भी नहीं गिरने दिया 

इस अम्बर से मैंने 

क्योंकि मैं जानती हूँ 

आपने अपना आशीर्वाद भी  टाँक रखा है 

हर सितारे के साथ में

कितने मौसम बदले

रुत बदली 

किन्तु इसकी आभा में 

कोई भी तो कमी नहीं आई 

वही कोमलता 

वही मखमली एहसास हुआ 

जब आज फिर स्पर्श किया 

आज छत्तीस वर्ष की हो गई है 

ये चुनरिया ,मम्मी पापा 

आपको याद है ना !!!

******************

 

(मौलिक व अप्रकशित)

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 3, 2013 at 11:41am

एक सितारा भी नहीं गिरने दिया 

इस अम्बर से मैंने 

क्योंकि मैं जानती हूँ 

आपने अपना आशीर्वाद भी  टाँक रखा है 

आदरणीया राजेश कुमारी जी 

सादर 

सदा सौभाग्यवती रहें. शब्दों के  परे से हार्दिक शुभ कामनाएं.

साथ ही एक शतक की भी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 3, 2013 at 11:17am

आदरणीय सौरभ जी  आप की शुभकामनाएं सर आँखों पर ,बिना मम्मी पापा के आशीर्वाद के तो जीवन में कुछ भी नहीं वो आज जहां भी हैं वहीँ से उनका आशीर्वाद मिल रहा है। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 3, 2013 at 10:53am

सबसे पहले, आदरणीया, आपको हृदय से शुभकामनाएँ--   अटल रहे अहिवात तुम्हारा, जब लगि गंग-जमुन जलधारा.. . .

इस मुबारक मौके पर आपने इतनी हृदयस्पर्शी चर्चा की है कि मन भर आया है.

सही है,  एक बेटी के लिए माँ-पापा की संज्ञा मात्र वही नहीं होती जो अन्य के लिए होती है. 

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 3, 2013 at 10:42am

आदरणीय लक्ष्मण जी आप की शुभकामनाएं सर आँखों पर |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 3, 2013 at 10:41am

बना रहे ये गठबंधन, जिए हजारो साल, साल के दिन हो एक हजार, हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभकामनाए आप दोनों

को ही, आदरणीया राजेश कुमारी जी 

कृपया ध्यान दे...

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