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उम्मीद के चमन में सांसों सी हैं दुआएं।

उम्मीद के चमन में सांसों सी हैं दुआएं।
सुख दुःख दो शिलाएं, इक आए इक जाए।।

हम दोस्त है सभी के
क्यों दुश्मनी निभाएं
सुन्दर भाव संवारें,
अन्तर्मन व्यथाएं ।।1उम्मीद के---


फूलों औ कलियों से
सुगन्धित हैं दिशाएं
अपनी ही आस्था से
बस प्यार को बढ़ाएं।।2 उम्मीद के---


मौसम आये जाये
खुशबहार-पतझड़ से
सुजन में खिन्नता है
दुर्जन खिल खिलाएं।।3 उम्मीद के---


कुछ शहंशाह ऐसे
जो मुल्क बेचते हैं
रोते उदास बच्चे
हर कदम लड़खड़ाएं।।4


उम्मीद के चमन में सांसों सी हैं दुआएं।
सुख दुःख दो शिलाएं,इक आए इक जाए।।

के0पी0सत्यम/ मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 9, 2013 at 8:42pm

आ0 मनोज भाई जी,  आपके स्नेह हेतु आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 9, 2013 at 8:39pm

आ0 सीमा अग्रवाल जी,  आपके स्नेह और आशीष से गीत को पूर्णता मिली।  आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।   सादर,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 9, 2013 at 8:05pm

आ0 रक्ताले सर जी, आपका मुग्धकारी स्नेह और आशीष पाकर गीत  को सुर मिल गया। आपका तहेदिल से हार्दिक आभार।  सादर,

Comment by seema agrawal on May 9, 2013 at 7:45pm

उम्मीद के चमन में सांसों सी हैं दुआएं।
सुख दुःख दो शिलाएं,इक आए इक जाए..........सुन्दर गीत 

Comment by manoj shukla on May 9, 2013 at 6:24pm
बहुत सुन्दर रचना बधाई स्वीकार करें आदर्णीय
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 9, 2013 at 8:28am

आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर,  बहुत सुन्दर रचना.सादर बधाई स्वीकारें. मंच पर विगत कुछ दिनों से चल रही कार्यशाला का सुन्दर असर आपकी रचना पर दृष्टिगत हो रहा है,आपसे यही अपेक्षित भी था.शुभकामनाएं.

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