For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : चोरी घोटाला और काली कमाई

बह्र : मुतकारिब मुसम्मन सालिम

चोरी घोटाला और काली कमाई,

गुनाहों के दरिया में दुनिया डुबाई,

निगाहों में रखने लगे लोग खंजर,

पिशाचों ने मानव की चमड़ी चढ़ाई,

दिनों रात उसका ही छप्पर चुआ है,

गगनचुम्बी जिसने इमारत बनाई,

कपूतों की संख्या बढ़ेगी जमीं पे,

कि माता कुमाता अगर हो न पाई,

हमेशा से सबको ये कानून देता,

हिरासत-मुकदमा-ब-इज्जत रिहाई,

गली मोड़ नुक्कड़ पे लाखों दरिन्दे,

फ़रिश्ता नहीं इक भी देता दिखाई...

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 588

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वीनस केसरी on May 14, 2013 at 1:09am

अनंत जी,
बहुत खूब
सुन्दर प्रयास है
दो शेर बहर से भटक रहे हैं उनको सही कर लें

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 12, 2013 at 6:04am

हमेशा से सबको ये कानून देता,

हिरासत-मुकदमा-ब-इज्जत रिहाई,

और यही कारण है कि दिन प्रतिदिन अपराध बढते जा रहे हैं!

आखिर हम किसे देगे दुहाई!

Comment by बृजेश नीरज on May 11, 2013 at 12:42pm

बहुत खूब! आपने जो चित्र खींचा है उसका कोई सानी नहीं। बेहतरीन! बधाई आपको!

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on May 10, 2013 at 7:20pm

सुन्दर प्रयास अरुण जी! मतले के उला में प्रवाह कुछ बाधित प्रतीत हो रहा है! नज़रे सानी फ़रमा लें! सादर.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 10, 2013 at 6:10pm

कपूतों की संख्या बढ़ेगी जमीं पे,

कि माता कुमाता अगर हो न पाई,

बिलकुल सही फरमाया 

सस्नेह बधाई 

Comment by Usha Taneja on May 10, 2013 at 5:23pm

आदरणीय  अरुन शर्मा 'अनन्त' जी. बहुत बढ़िया विषय व अभिव्यक्ति दी है आपने. बधाई हो!

Comment by ram shiromani pathak on May 10, 2013 at 2:33pm
adarney bhai arun sharma g haRDIK BADHAI ,,,,,,,,,BAHUT SUNDAR LIKHA HAI APNE
Comment by अरुन 'अनन्त' on May 10, 2013 at 10:17am

आदरणीय एडमिन महोदय कृपया पिचासों को पिशाचों कर दें.

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 9, 2013 at 11:51pm

भाई अरुण जी सादर सुन्दर गजल रची है सादर बधाई स्वीकारें. "पिचासों" शायद टंकन त्रुटी है.

 

कपूतों की संख्या बढ़ेगी जमीं पे,

कि माता कुमाता अगर हो न पाई,...........इसका क्या अर्थ समझें?

Comment by coontee mukerji on May 9, 2013 at 11:20pm

निगाहों में रखने लगे लोग खंजर,

पिचासों ने मानव की चमड़ी चढ़ाई........बहुत अच्छा पकड़ा है  अरून जी .सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
20 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service